पिछले कई दिनों की तर्ज पर बुधवार को भी बिहार को केंद्रीय कोटे से 1000 मेगावाट से कम बिजली मिली। इस कारण कंपनी ने खुले बाजार से 1200 मेगावाट से अधिक की खरीदारी की। देर शाम तक राज्य में 5500 मेगावाट की आपूर्ति की गई।
ग्रामीण फीडर में घंटों लोडशेडिंग
शहरी इलाके में पूजा पंडालों को देखते हुए बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की गई। हालांकि जरुरत 6000 मेगावाट से अधिक की थी। मांग की तुलना में 500-700 मेगावाट कम होने के कारण ग्रामीण फीडर में घंटों लोडशेडिंग की गई।
कई ग्रामीण फीडरों को आठ से 10 घंटे तक लोडशेडिंग पर रखना पड़ा। कंपनी अधिकारियों ने दावा किया कि राज्य की जरुरत के अनुसार खुले बाजार से बिजली खरीदकर आपूर्ति की जा रही है। इस स्थिति पर जल्द ही काबू पा लिया जाएगा।
बिजली संकट को देखते हुए कंपनी ने रोटेशन प्लान पर अमल शुरू कर दिया है। कंपनी ने इंजीनियरों को कहा है कि वह प्राथमिकता के आधार पर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करे।
लेकिन यह भी सुनिश्चित करें कि शहर के साथ ही ग्रामीण इलाकों में भी कम से कम 15 घंटे बिजली आपूर्ति हो। इसके लिए ग्रामीण फीडर को क्रमवार तरीके से बिजली आपूर्ति करने के लिए कहा गया है।
बिजली का मौजूदा संकट अभी लंबा खिंचने के आसार
कंपनी अधिकारियों के अनुसार अगले कुछ दिनों तक इस संकट के कायम होते देख कंपनी ने इंजीनियरों को कहा है कि वह रोटेशन प्लान पर अमल करें।
कंपनी का रोटेशन प्लान पहले से ही तय है। इस संकट काल को देखते हुए कंपनी ने तय किया है कि सबसे पहले औद्योगिक प्रक्षेत्र को जरुरत के अनुसार बिजली दी जाए ताकि राज्य के औद्योगिक उत्पादन पर कोई असर नहीं हो।
इसके बाद राजधानी सहित सूबे के प्रमुख शहरों, जिला मुख्यालयों में बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। आपातकाल सेवा से जुड़े अस्पतालों आदि की बिजली आपूर्ति भी प्राथमिकता के आधार पर दी जाएगी।
इसके बाद अनुमंडल व प्रखंड मुख्यालयों को बिजली दी जाएगी। जो फीडर केवल ग्रामीण इलाकों से जुड़े होंगे, उसे क्रमवार तरीके से बिजली आपूर्ति रोटेशन के आधार पर दी जाएगी। अर्थात अगर दो ग्रामीण फीडर होंगे तो दोनों को एक अनुपात में बिजली रोटेशन के आधार पर दी जाएगी।