Makhana Cultivation: जल की सतह पर पनपने वाला यह अद्भुत अन्न, सिर्फ स्वाद ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य का भी खजाना है। बिहार की शान मखाना अब देश के कोने-कोने में अपनी खुशबू बिखेरने को तैयार है, एक नई कृषि क्रांति का सूत्रपात करने के लिए।
देशभर में फैलेगा ‘बिहार का सोना’: Makhana Cultivation को लेकर सरकार की बड़ी तैयारी
पूर्वोत्तर से कश्मीर तक फैलेगा Makhana Cultivation: जानिए योजना
बिहार की पहचान बन चुका मखाना, जिसे अंग्रेजी में फॉक्स नट (Fox Nut) भी कहते हैं, अब सिर्फ तालाबों और आर्द्रभूमियों तक सीमित नहीं रहेगा। केंद्र सरकार ने इस पोषक तत्व से भरपूर फसल को देश के अन्य राज्यों तक फैलाने की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य मखाना उत्पादन को बढ़ावा देना, किसानों की आय में वृद्धि करना और इसके पोषण संबंधी लाभों को व्यापक जनसमुदाय तक पहुंचाना है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
फिलहाल, मखाने की खेती मुख्य रूप से बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में केंद्रित है, जहां यह हजारों परिवारों की आजीविका का आधार है। कृषि विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों का मानना है कि देश के कई अन्य राज्यों में भी मखाना उत्पादन के लिए उपयुक्त परिस्थितियां मौजूद हैं, विशेषकर वे क्षेत्र जहां जल कृषि (aquatic farming) की संभावनाएं हैं। इस योजना के तहत असम, कश्मीर घाटी, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए जा रहे हैं।
कृषि मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस योजना में उन्नत किस्मों के बीज, आधुनिक कृषि तकनीकें और किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करने पर जोर दिया जाएगा। मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा के वैज्ञानिक इस विस्तार परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, ताकि नई जगहों पर भी मखाने की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता को बिहार के स्तर तक लाया जा सके।
किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार
मखाना विस्तार योजना किसानों के लिए आर्थिक रूप से एक बड़ा अवसर लेकर आएगी। जिन क्षेत्रों में इसकी खेती शुरू की जाएगी, वहां के किसान पारंपरिक फसलों के अलावा एक नकदी फसल के रूप में मखाना उगाकर अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकेंगे। मखाना न केवल प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होता है, बल्कि यह ग्लूटेन-मुक्त भी है, जो इसे स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय बनाता है।
इस पहल से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। मखाने की प्रसंस्करण इकाइयों (processing units) की स्थापना से स्थानीय स्तर पर मूल्य संवर्धन होगा, जिससे किसानों को उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य मिल पाएगा। यह एक ऐसा कदम है जो जल कृषि के क्षेत्र में भारत को एक वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित करने की क्षमता रखता है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले कुछ वर्षों में मखाना को एक राष्ट्रीय फसल के रूप में स्थापित किया जाए, जो न केवल खाद्य सुरक्षा में योगदान दे बल्कि निर्यात के माध्यम से विदेशी मुद्रा भी अर्जित करे। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह सिर्फ एक फसल का विस्तार नहीं, बल्कि ग्रामीण समृद्धि और पोषण सुरक्षा की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना भारत के कृषि परिदृश्य को बदलने और किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का माद्दा रखती है।

