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दिसम्बर, 13, 2025

Nalanda Old Age Pension: सिस्टम की ‘मौत की पर्ची’ से बेहाल हजारों बुजुर्ग, रुक गई पेंशन, दर-दर भटकने को मजबूर

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Nalanda Old Age Pension: सरकारी सिस्टम की भूलभुलैया में उलझी बुजुर्गों की जिंदगी, जहां एक क्लिक उन्हें ‘मृत’ घोषित कर रहा है और पेंशन की आस धूमिल हो रही है। नालंदा जिले में वृद्धा पेंशनभोगियों की परेशानी सातवें आसमान पर है। ई-केवाईसी पोर्टल की तकनीकी खामियों ने हजारों बुजुर्गों की नींद हराम कर दी है।

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Nalanda Old Age Pension: तकनीकी गड़बड़ी का शिकार, जीवित को बताया ‘मृत’

नालंदा जिले में वृद्ध पेंशनधारियों की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। कई बुजुर्गों की पेंशन गलत तरीके से बंद कर दी गई है और उन्हें कागजों में ‘मृत’ घोषित कर दिया गया है। इस गंभीर ई-केवाईसी गड़बड़ी की वजह से वे पिछले कई महीनों से दर-दर भटकने को मजबूर हैं। सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते उनकी चप्पलें घिस गई हैं, लेकिन समाधान नहीं मिल पा रहा। कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां बुजुर्ग व्यक्ति जीवित और स्वस्थ हैं, लेकिन सिस्टम उन्हें ‘मृत’ बता रहा है, जिससे उनकी एकमात्र आय का स्रोत, वृद्धा पेंशन रुक गई है।

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यह समस्या केवल नालंदा तक सीमित नहीं है, बल्कि राज्य के अन्य हिस्सों में भी ऐसी ही शिकायतें मिल रही हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। प्रशासन का कहना है कि वे इस तकनीकी खामी को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन धरातल पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। बुजुर्गों का कहना है कि आधार-आधारित ई-केवाईसी अपडेट में हुई चूक ने उनकी जिंदगी में भूचाल ला दिया है।

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यह भी पढ़ें:  CM Mahila Rojgar Yojana: बिहार में पुरुषों के खाते में पहुंचे ₹10 हजार, अब नोटिस से मचा हड़कंप

जिले के विभिन्न प्रखंडों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, हजारों की संख्या में वृद्ध पेंशनधारी इस समस्या से जूझ रहे हैं। उन्हें अपनी जीवितता साबित करने के लिए लगातार सरकारी अधिकारियों के सामने गुहार लगानी पड़ रही है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

सरकारी व्यवस्था पर उठते सवाल और बुजुर्गों की लाचारी

वृद्धावस्था में जब शरीर साथ छोड़ने लगता है और आर्थिक सहारा केवल पेंशन होता है, ऐसे में तकनीकी भूल बुजुर्गों के लिए किसी वज्रपात से कम नहीं। यह स्थिति न केवल उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर कर रही है, बल्कि मानसिक रूप से भी प्रताड़ित कर रही है। सरकार को इस ओर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि इन बेसहारा बुजुर्गों को उनका हक मिल सके। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। पेंशन का रुकना उनके दैनिक जीवन और स्वास्थ्य देखभाल पर सीधा असर डाल रहा है।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस मुद्दे पर प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि इस पूरे मामले की गहन जांच होनी चाहिए और उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जिनकी लापरवाही के कारण यह ई-केवाईसी गड़बड़ी हुई है। साथ ही, उन सभी बुजुर्गों की पेंशन तत्काल बहाल की जानी चाहिए जिन्हें गलत तरीके से ‘मृत’ घोषित किया गया है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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