Navgachia News: संस्कृति एक ऐसी बहती धारा है जो हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखती है, और जब यह धारा ज्ञान के संगम में मिलती है, तो एक नए सवेरे का सूत्रपात होता है। इसी सूत्रपात का साक्षी बना नवगछिया, जहाँ ‘अपनी संस्कृति-अपनी पहचान’ विषय पर एक भव्य परिचर्चा का आयोजन किया गया।
नवगछिया न्यूज़: ‘अपनी संस्कृति-अपनी पहचान’ पर भव्य परिचर्चा, बिहुला विषहरी की धरोहर को मिला सम्मान
नवगछिया न्यूज़: संस्कृति संरक्षण की नई पहल
गुरुवार को नवगछिया विकास समिति एवं बाल भारती विद्यालय परिवार के संयुक्त तत्वावधान में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बाल भारती विद्यालय परिसर में आयोजित इस समारोह का मुख्य विषय “अपनी संस्कृति-अपनी पहचान” था, जिस पर गहन परिचर्चा हुई। इस कार्यक्रम का खास महत्व इसलिए भी था क्योंकि यह माता बिहुला विषहरी की धरोहर और तुलसी पूजन दिवस के शुभ अवसर पर संपन्न हुआ। इस आयोजन का उद्देश्य हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उसे संरक्षित करना था। यह प्रयास नवगछिया क्षेत्र में सांस्कृतिक पुनरुत्थान की दिशा में एक बड़ा कदम है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों और छात्रों ने अपनी संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला, और इस बात पर जोर दिया कि कैसे हमारी पहचान हमारे सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़ी है।
अतिथिगण और विचार विमर्श
परिचर्चा के दौरान वक्ताओं ने भारतीय परंपराओं, त्योहारों और रीति-रिवाजों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि कैसे ये परंपराएँ हमें एक मजबूत सामाजिक ताने-बाने से जोड़ती हैं और हमारी जड़ों से हमें परिचित कराती हैं। इस अवसर पर सम्मान समारोह का भी आयोजन किया गया, जिसमें उन लोगों को सम्मानित किया गया जिन्होंने सांस्कृतिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। यह आयोजन न केवल एक परिचर्चा थी, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत के प्रति सम्मान और उसके संरक्षण का एक संकल्प भी था। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। कार्यक्रम में विभिन्न विद्वानों, शिक्षाविदों और स्थानीय गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने अपने विचारों से सभी को लाभान्वित किया। चर्चा इस बात पर केंद्रित रही कि आधुनिकता की दौड़ में हम अपनी मूल पहचान को कैसे बरकरार रख सकते हैं और अपनी आने वाली पीढ़ियों को इस सांस्कृतिक विरासत से कैसे जोड़ सकते हैं।
संस्कृति और पहचान का महत्व
तुलसी पूजन दिवस और माता बिहुला विषहरी की धरोहर से जुड़े इस कार्यक्रम ने स्थानीय लोक संस्कृति और परंपराओं को एक नया मंच प्रदान किया। आयोजकों ने बताया कि ऐसे आयोजन समाज में सांस्कृतिक चेतना जगाने और लोगों को अपनी जड़ों से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह सिर्फ एक दिन का कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह संदेश था कि हमारी संस्कृति ही हमारी सच्ची पहचान है और इसे संजोना हमारा नैतिक कर्तव्य है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। नवगछिया में आयोजित इस कार्यक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जब हम अपनी संस्कृति का सम्मान करते हैं, तो हम अपनी पहचान को और मजबूत बनाते हैं।



