Bihar Floating Solar Plant: जहां पानी पर तैरती किरणें भविष्य का उजाला लिख रही हैं, वहीं नवादा का फुलवरिया डैम अब महज एक पिकनिक स्पॉट नहीं, बल्कि बिहार की ऊर्जा क्रांति और मछली उत्पादन का एक जीवंत मॉडल बनकर उभरा है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की प्रगति का जायजा लेने खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नवादा पहुंचे और मौके पर ही इसकी रफ्तार पर बारीक नजर डाली।
फुलवरिया डैम: बिहार में ‘Bihar Floating Solar Plant’ से बदलेगी तस्वीर
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नवादा दौरा इस बात का प्रमाण है कि राज्य सरकार पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से हटकर अब अक्षय ऊर्जा पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। फुलवरिया डैम में स्थापित यह फ्लोटिंग सोलर प्लांट न केवल बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। बल्कि यह जल संरक्षण और मत्स्य पालन को भी एक नया आयाम दे रहा है। जल सतह पर पैनलों के कारण वाष्पीकरण कम होता है, वहीं जलाशय में मछली पालन भी सुचारु रूप से जारी रहता है।
यह परियोजना बिहार को एक ऐसे राज्य के रूप में स्थापित कर रही है जो पर्यावरण-हितैषी विकास मॉडल को अपना रहा है। फ्लोटिंग सोलर प्लांट की स्थापना से न केवल स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। डैम के आसपास के क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे, जिससे ग्रामीण विकास को गति मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने निरीक्षण के दौरान अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए और परियोजना को समय पर पूरा करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह मॉडल राज्य के अन्य जलाशयों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनेगा, जहां इसी तरह की परियोजनाओं को साकार किया जा सकता है। बिहार को अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बनाना उनकी प्राथमिकताओं में से एक है।
आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह पहल बिहार को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से लड़ने और एक स्थायी भविष्य की ओर अग्रसर करने में सहायक सिद्ध होगी। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें https://deshajtimes.com/news/national/। नवादा का यह मॉडल पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकता है कि कैसे सीमित संसाधनों का उपयोग करके भी बड़े लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
ऊर्जा और मछली उत्पादन का संगम: एक अनूठा मॉडल
फुलवरिया डैम अब केवल पानी रोकने का एक माध्यम नहीं रह गया है, बल्कि यह अब एक बहुउद्देशीय परियोजना में तब्दील हो चुका है। एक तरफ जहां यह संयंत्र हजारों घरों को रोशन करने वाली बिजली का उत्पादन करेगा, वहीं दूसरी ओर पानी की सतह के नीचे मछली पालन भी जारी रहेगा। यह सहजीवी मॉडल पारंपरिक ऊर्जा परियोजनाओं की तुलना में अधिक कुशल और पर्यावरण के अनुकूल है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस परियोजना को बिहार के विकास की एक नई दिशा बताया है, जो आधुनिकता और प्रकृति के संतुलन का प्रतीक है। उम्मीद है कि यह मॉडल आने वाले समय में राज्य के लिए एक गेम चेंजर साबित होगा, जिससे ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ ग्रामीण आजीविका में भी सुधार आएगा। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।


