बिहार के दिव्यांग बच्चों के लिए एक बड़ी खुशखबरी! अब स्कूलों में होंगे 7279 विशेष शिक्षक, जो इन बच्चों को विशेष शैक्षणिक सहयोग देंगे। यह नियुक्ति BPSC के जरिए होगी – TRE 3.0 की तरह परीक्षा होगी।
बिहार में दिव्यांग बच्चों के लिए बहाल होंगे 7279 विशेष शिक्षक, BPSC के ज़रिए जल्द शुरू होगी प्रक्रिया
दस्तावेज़ सत्यापन और पारदर्शी चयन के बाद इनकी नियुक्ति की जाएगी। एक से 5 तक के लिए 5534 और 6 से 8 के लिए 1745 पद के लिए – जल्द पूरी प्रक्रिया शुरू होगी।और हां, आयु सीमा 47 साल तक – 10 साल की छूट भी मिलेगी। पढ़िए पूरी खबर
प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में होंगी नियुक्तियाँ, TRE 3.0 पैटर्न पर होगी परीक्षा
पटना, देशज टाइम्स — बिहार सरकार ने दिव्यांग बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। राज्य के सरकारी स्कूलों में 7279 विशेष शिक्षकों की बहाली की जाएगी। यह नियुक्तियाँ बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के ज़रिए TRE 3.0 पैटर्न पर संपन्न होंगी।
कक्षा 1 से 8 तक के लिए वर्गीकृत होंगे शिक्षक
शिक्षा विभाग के अनुसार, कुल 7279 पद दो श्रेणियों में विभाजित किए गए हैं। इसके तहत, कक्षा 1 से 5 के लिए 5534 पद, कक्षा 6 से 8 के लिए 1745 पद, इन शिक्षकों की नियुक्ति से विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को कक्षा स्तर के अनुसार अनुकूल शैक्षणिक सहयोग मिल सकेगा।
BPSC के माध्यम से होगी पारदर्शी नियुक्ति प्रक्रिया
यह नियुक्ति प्रक्रिया TRE 3.0 के तर्ज पर होगी। इसमें लिखित परीक्षा, दस्तावेज़ सत्यापन शामिल होंगे। शिक्षा विभाग ने इसका पूरा प्रस्ताव BPSC को सौंप दिया है, जिससे बहाली प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू कर दी गई है।
आयु सीमा में 10 साल की अतिरिक्त छूट
विशेष शिक्षकों के लिए अधिकतम आयु सीमा 47 वर्ष निर्धारित की गई है, जबकि सामान्य शिक्षकों के लिए यह सीमा 37 वर्ष है। इससे वरिष्ठ और योग्य अभ्यर्थियों को मौका मिलेगा, जो उम्र पार कर चुके हैं।
आवेदन की योग्यता – केवल BSTET पास उम्मीदवार
केवल वे उम्मीदवार ही आवेदन कर सकेंगे जिन्होंने BSTET (Bihar Special School Teacher Eligibility Test) 2023 पास किया हो। वर्ष 2023 में इन पदों के लिए आवेदन लिए गए थे, लेकिन अब BPSC के ज़रिए प्रक्रिया शुरू हो रही है ताकि योग्य व प्रशिक्षित उम्मीदवारों को ही मौका मिल सके।
दिव्यांग शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक पहल
राज्य सरकार का यह कदम समावेशी शिक्षा नीति की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे दिव्यांग छात्रों को समान अवसर मिलेंगे। समाज में उनकी स्वीकृति और आत्मविश्वास बढ़ेगा। विशेष शिक्षक बच्चों के लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाएंगे।