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26 अगस्त, 2024
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Bihar के सरकारी स्कूलों में अब ‘Photo Proof System’, सुबह की प्रार्थना छूटी तो…9:30 बजे तक स्कूल नहीं पहुंचे तो… बचेगा नहीं कोई!

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“कितनी कड़ाई हुई?”, “क्या नया नियम आया?”, “स्कूलों पर क्या असर पड़ा?”। बिहार के स्कूलों में अब हर दिन होगी ‘चौकसी’! शिक्षा विभाग ने शुरू किया फोटो सबूत सिस्टम। सुबह की प्रार्थना छूटी तो फंसेंगे प्रिंसिपल! शिक्षा विभाग ने लागू किया नया सख्त नियम। हर दिन मांगे जाएंगे स्कूलों के फोटो – अब लापरवाही पर तुरंत होगी कार्रवाई।@पटना,देशज टाइम्स।

बिहार शिक्षा विभाग ने कसी लगाम: हर गतिविधि की फोटो अब होगी सबूत

9:30 बजे तक स्कूल नहीं पहुंचे तो बचेगा कोई नहीं! सरकार ने शुरू की नई सख्ती। शिक्षकों और बच्चों की फोटो होगी रिकॉर्ड – शिक्षा विभाग ने जारी किया नया फरमान। औचक निरीक्षण से बदल गई स्कूलों की तस्वीर! हर गतिविधि की फोटो अब होगी सबूत। 38 जिलों में शुरू हुई नई व्यवस्था – हर स्कूल पर शिक्षा विभाग की पैनी नजर@पटना,देशज टाइम्स।

बिहार शिक्षा विभाग ने कसी लगाम: सरकारी स्कूलों में अब हर दिन फोटो से होगी मॉनीटरिंग

पटना, देशज टाइम्स। बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में अनुशासन और शैक्षणिक गतिविधियों को मजबूती देने के लिए कड़े दिशा-निर्देश लागू किए हैं। इन दिशा-निर्देशों के सही से पालन को सुनिश्चित करने के लिए विभाग ने एक नवीन मॉनीटरिंग सिस्टम विकसित किया है, जिसमें रोजाना स्कूलों से फोटो आधारित प्रमाण मांगा जा रहा है।

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सुबह की प्रार्थना और एसेंबली की होगी रिपोर्टिंग

सभी स्कूलों से सुबह लगने वाली प्रार्थना सभा (Morning Assembly) और अन्य गतिविधियों का फोटोग्राफ मांगा जाता है। खास बात यह है कि किसी विशेष स्कूल को पहले से जानकारी नहीं दी जाती। विभाग द्वारा रैंडम चयन किया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सभी स्कूल नियमित रूप से अनुशासन और शैक्षणिक दिनचर्या का पालन करें।

किसी भी स्कूल से कभी भी फोटो की मांग की जा सकती है। इससे स्कूल प्रशासन हर समय अलर्ट रहता है। छात्रों और शिक्षकों की नियमित उपस्थिति और समय पर गतिविधियों का संचालन सुनिश्चित होता है।

अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ की पहल

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने इस पूरी प्रणाली की शुरुआत की है। मॉनीटरिंग के लिए भेजी जाने वाली तस्वीरों में— आक्षांश (Latitude), देशांश (Longitude), समय (Time Stamp), और अन्य आवश्यक विवरण स्पष्ट रूप से अंकित रहते हैं। इससे यह पक्का हो जाता है कि फोटो वास्तविक समय और स्थान से लिया गया है।

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38 जिलों के स्कूलों की जांच

विभाग ने हाल ही में 20, 21 और 22 अगस्त को राज्य के सभी 38 जिलों से तीन-तीन स्कूलों का चयन कर उनसे फोटो मांगे। समीक्षा के दौरान पाया गया कि अधिकांश स्कूलों में विभागीय दिशा-निर्देशों के अनुसार ही सुबह की गतिविधियां हो रही हैं।

अगर किसी स्कूल में गतिविधि नहीं मिलती, तो  प्रधानाध्यापक से लिखित स्पष्टीकरण लिया जाता है। लापरवाही साबित होने पर कार्रवाई भी की जाती है। इस पहल से सरकारी स्कूलों की जमीनी तस्वीर और उनकी कार्यप्रणाली का सही आकलन हो रहा है।

छात्रों और शिक्षकों के लिए नई व्यवस्था

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय और राज्य स्तर पर जारी नियमों के अनुसार:

छात्रों के आने का समय सुबह 9:30 बजे तय है। इसी समय शिक्षकों का भी उपस्थित होना अनिवार्य है। सुबह होने वाले चेतना सत्र (Motivational Session) में शिक्षक और बच्चे दोनों सक्रिय रूप से शामिल होंगे। पढ़ाई के दौरान शिक्षक और बच्चों के फोटोग्राफ सुरक्षित रखे जाएंगे। ज़रूरत पड़ने पर ये फोटो विभागीय अधिकारियों को उपलब्ध कराए जाएंगे।

अहम निर्देश-इसका मुख्य उद्देश्य:

शिक्षा विभाग ने 4 अगस्त 2025 को एक नया आदेश जारी किया था। इसका मुख्य उद्देश्य:

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अनुशासन को मजबूत करना, शिक्षकों की जिम्मेदारियों को स्पष्ट करना, और सरकारी स्कूलों की कार्यप्रणाली में सुधार लाना, इस पहल के बाद स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता, समय पर उपस्थिति, और शैक्षणिक माहौल बेहतर हुआ है।

शिक्षा सुधार की दिशा में बड़ा कदम

डॉ. एस. सिद्धार्थ के नेतृत्व में चल रही इस नई व्यवस्था ने बिहार के सरकारी स्कूलों का माहौल पूरी तरह बदल दिया है। अब स्कूलों में नियमितता और अनुशासन सुनिश्चित हो रहा है। शिक्षक और बच्चे दोनों समय पर उपस्थित रहते हैं। विभाग के पास स्कूलों की ऑन-ग्राउंड रिपोर्टिंग का ठोस साधन मौजूद है।

नतीजा: बदलेगी सरकारी स्कूलों की तस्वीर

इस प्रणाली से स्पष्ट है कि बिहार सरकार का लक्ष्य है—शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, शिक्षकों की जवाबदेही, और बच्चों के लिए अनुशासित शैक्षणिक वातावरण।

 बिहार के सरकारी स्कूल अब पहले की तुलना में अधिक सक्रिय, अनुशासित और मॉनीटरिंग आधारित हो चुके हैं। निष्कर्ष यह है कि शिक्षा विभाग की यह पहल शिक्षा सुधार के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो रही है। अब बच्चों और अभिभावकों दोनों को भरोसा है कि सरकारी स्कूलों में भी गुणवत्ता और अनुशासन से समझौता नहीं किया जाएगा।

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