पटना: दिल्ली में कांग्रेस अपनी भावी रणनीति पर मंथन कर रही थी और यहां बिहार में सियासी पारा अचानक चढ़ गया. पूर्णिया के नवनिर्वाचित सांसद पप्पू यादव ने सरकार के ‘बुलडोजर मॉडल’ पर ऐसा बयान दिया कि राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. उन्होंने सरकार को सीधी चुनौती देते हुए कहा कि बिहार में यह सब नहीं चलेगा.
लोकसभा चुनाव में जीत के बाद से ही पप्पू यादव लगातार आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं. दिल्ली में कांग्रेस की महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक से ठीक पहले, उन्होंने पटना में सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने स्पष्ट किया कि बिहार की धरती कर्पूरी ठाकुर, जयप्रकाश नारायण (जेपी) और राम मनोहर लोहिया के विचारों की धरती है और यहां किसी भी तरह का ‘बुलडोजर मॉडल’ सफल नहीं होने दिया जाएगा.
बुलडोजर कार्रवाई पर सरकार को घेरा
पप्पू यादव ने गरीबों के घरों पर हो रही बुलडोजर कार्रवाई की कड़ी निंदा की. उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर किस आधार पर गरीबों के आशियाने को उजाड़ा जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार को पहले वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए और फिर किसी कार्रवाई के बारे में सोचना चाहिए. उनका आरोप था कि यह मॉडल गरीबों को और अधिक हाशिए पर धकेलने का काम कर रहा है.
उन्होंने अपनी बात रखते हुए सरकार को कुछ प्रमुख बिंदुओं पर चुनौती दी:
- बिहार में कर्पूरी-जेपी-लोहिया के समाजवादी मॉडल को खत्म करने की कोशिश क्यों हो रही है?
- गरीबों के घरों पर बुलडोजर चलाने से पहले उनके पुनर्वास की कोई योजना क्यों नहीं है?
- क्या कानून का इस्तेमाल सिर्फ गरीबों और राजनीतिक विरोधियों के लिए किया जा रहा है?
राबड़ी देवी के बंगले का भी उठाया मुद्दा
पप्पू यादव ने अपने बयान में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के बंगले को खाली कराने के नोटिस का भी जिक्र किया. उन्होंने इस कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि सरकार को इस तरह के कदमों से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि राजनीतिक द्वेष के कारण इस तरह की कार्रवाई करना लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है.
पप्पू यादव के इस बयान का समय काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. एक तरफ जहां दिल्ली में कांग्रेस के बड़े नेता हार-जीत का विश्लेषण कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पप्पू यादव ने बिहार में सीधे तौर पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर अपनी भावी राजनीतिक दिशा का संकेत दे दिया है.







