Gandhi Fellowship: ज्ञान के क्षितिज पर चमकती एक नई किरण, जिसने छात्रों के सपनों को नई उड़ान दी है। अब पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के विद्यार्थी भी समाज सेवा और नेतृत्व के मार्ग पर अग्रसर हो सकेंगे।
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के छात्रों को मिलेगा Gandhi Fellowship का लाभ, खुले नए आयाम
हाल ही में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय (पीपीयू) और प्रतिष्ठित गांधी फेलोशिप कार्यक्रम के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह समझौता विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए व्यापक सामाजिक विकास और नेतृत्व के अवसरों के द्वार खोलेगा। इस पहल से छात्र न केवल अकादमिक ज्ञान प्राप्त करेंगे, बल्कि उन्हें जमीनी स्तर पर काम करने और वास्तविक दुनिया की चुनौतियों को समझने का भी मौका मिलेगा।
यह एमओयू छात्रों को ग्रामीण भारत में शिक्षा और विकास परियोजनाओं में सक्रिय रूप से भाग लेने का अवसर प्रदान करेगा। इसके तहत चयनित छात्र दो साल के लिए गांधी फेलोशिप का हिस्सा बनेंगे, जहां वे विभिन्न सामुदायिक विकास कार्यक्रमों और सामाजिक उद्यमिता पहलों में संलग्न रहेंगे। यह उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए एक अनूठा मंच साबित होगा।
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय और Gandhi Fellowship का ऐतिहासिक गठजोड़
इस ऐतिहासिक गठजोड़ का मुख्य उद्देश्य युवाओं को सामाजिक परिवर्तन के वाहक के रूप में तैयार करना है। गांधी फेलोशिप अपनी कार्यप्रणाली के लिए विख्यात है, जो प्रतिभागियों को नवाचार, समस्या-समाधान और सहयोगात्मक कौशल विकसित करने में मदद करती है। पीपीयू के कुलपति ने इस अवसर पर कहा कि यह समझौता छात्रों को ‘कर्मयोगी’ बनने के लिए प्रेरित करेगा और उन्हें समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने में मदद करेगा।
फेलोशिप कार्यक्रम के तहत, छात्रों को अनुभवी सलाहकारों द्वारा मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा और उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में काम करने का अवसर मिलेगा। यह अनुभव उन्हें भविष्य में सामाजिक क्षेत्र, शिक्षा, या कॉर्पोरेट जगत में नेतृत्व की भूमिकाएं निभाने के लिए सशक्त करेगा। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह पहल छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने और उनमें नेतृत्व क्षमता विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
गांधी फेलोशिप एक ऐसा कार्यक्रम है जो युवा स्नातकों को शिक्षा और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए प्रशिक्षित करता है। इसका मुख्य फोकस भारत के सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दों पर काम करना और स्थायी समाधान विकसित करना है। यह फेलोशिप छात्रों को ग्रामीण समुदायों के साथ मिलकर काम करने, उनकी जरूरतों को समझने और प्रभावी हस्तक्षेपों को डिजाइन करने का अवसर देती है। यह उनके अंदर एक मजबूत सामाजिक चेतना और सेवा भाव पैदा करेगा।
छात्रों के लिए खुले नए अवसर और अनुभव
इस समझौते से पीपीयू के छात्रों के लिए कई नए रास्ते खुलेंगे। उन्हें गरीबी उन्मूलन, शिक्षा सुधार, स्वास्थ्य सेवा और पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काम करने का प्रत्यक्ष अनुभव मिलेगा। यह फेलोशिप उन्हें केवल डिग्री धारक नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक और भविष्य का नेता बनाएगी। विश्वविद्यालय का मानना है कि ऐसे कार्यक्रम बिहार के युवाओं में युवा सशक्तिकरण की भावना को और मजबूत करेंगे, जिससे वे देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।
चयन प्रक्रिया में अकादमिक प्रदर्शन, नेतृत्व क्षमता और सामाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता जैसे कारकों पर विचार किया जाएगा। चयनित छात्रों को मासिक वजीफा, आवास और यात्रा भत्ते सहित कई लाभ प्रदान किए जाएंगे, जिससे वे बिना किसी वित्तीय बाधा के अपने फेलोशिप कार्यकाल को पूरा कर सकें। यह पहल छात्रों को एक ऐसा अनुभव प्रदान करेगी जो उनके रिज्यूमे को समृद्ध करने के साथ-साथ उनके जीवन को भी एक नई दिशा देगा। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
कुल मिलाकर, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय और गांधी फेलोशिप के बीच हुआ यह एमओयू शिक्षा और सामाजिक विकास के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह न केवल पीपीयू के छात्रों के लिए बल्कि पूरे बिहार राज्य के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा, जो युवाओं में युवा सशक्तिकरण को बढ़ावा देगा। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।



