back to top
3 सितम्बर, 2024
spot_img

NDA’s Bihar Bandh | 4 September को ‘NDA’ का बिहार बंद, “मां का अपमान नहीं सहेंगे” – मोदी के दर्द के बाद बिहार बंद, सियासत गरमाई

आप पढ़ रहे हैं दुनिया भर में पढ़ा जाने वाला Deshaj Times...खबरों की विरासत का निष्पक्ष निर्भीक समर्पित मंच...चुनिए वही जो सर्वश्रेष्ठ हो...DeshajTimes.COM
spot_img
Advertisement
Advertisement

पटना/दरभंगा, देशज टाइम्स। बिहार की राजनीति इन दिनों भारी उथल-पुथल से गुजर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां को लेकर विपक्षी मंच से कथित अमर्यादित टिप्पणी किए जाने के बाद राज्य की राजनीति में नया भूचाल आ गया है।

सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक बिहार बंद?

इस घटना को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और अन्य एनडीए सहयोगी दलों ने कड़ा विरोध जताया है। इसी के तहत 4 सितंबर को सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक बिहार बंद का आह्वान किया गया है। हालांकि, इस दौरान आपातकालीन सेवाएं और रेल यातायात प्रभावित नहीं होंगे।

घटना से कैसे भड़की राजनीति?

दरभंगा में राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान एक मंच से प्रधानमंत्री मोदी की मां को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी किए जाने का आरोप है। भाजपा का कहना है कि यह केवल प्रधानमंत्री का अपमान नहीं है, बल्कि भारत की हर मां-बहन का अपमान है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने इसे “बिहार को शर्मसार करने वाली घटना” बताया।

वहीं, जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने लोगों से बिहार बंद को सफल बनाने की अपील की है। भाजपा महिला मोर्चा की कार्यकर्ता और नेता इस आंदोलन की अगुवाई करेंगी और सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगी।

प्रधानमंत्री मोदी का भावुक संबोधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए भावुक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “कांग्रेस और राजद के मंच से मेरी मां को गालियां दी गईं। यह सिर्फ मेरी मां का नहीं, बल्कि देश की हर मां और बेटी का अपमान है।”मोदी ने भोजपुरी में कहा – “माई के स्थान देवता-पीतर से भी ऊपर होला।”उन्होंने याद दिलाया कि उनकी मां का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन फिर भी उन्हें निशाना बनाया गया। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि बिहार जैसे सांस्कृतिक राज्य में इस तरह की भाषा का इस्तेमाल समाज की मूल भावनाओं पर चोट है।

एनडीए का आक्रोश और रणनीति

इस घटना ने एनडीए को विपक्ष पर सीधा हमला करने का मौका दिया है। भाजपा और जदयू ने इसे चुनावी मैदान में नैतिक और भावनात्मक मुद्दे के रूप में भुनाने की रणनीति बनाई है। एनडीए नेताओं का कहना है कि यह सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि सामाजिक आक्रोश की अभिव्यक्ति है। खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां परिवार और संस्कृति का राजनीति में बड़ा महत्व है, वहां इस मुद्दे का असर और गहरा हो सकता है।

यह भी पढ़ें:  Bihar Election का कांव-कांव | सीएम नीतीश को झटका, पूर्व महिला विधायक मीना द्विवेदी का JDU से तौबा, कह दी बड़ी बात

विपक्ष की मुश्किलें बढ़ीं

राजद और कांग्रेस पहले से ही बिहार में बेरोजगारी, महंगाई और विकास जैसे मुद्दों को उठाकर एनडीए को घेरने की कोशिश कर रहे थे।

मगर इस विवाद ने उनके लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। प्रधानमंत्री मोदी की छवि संस्कार और परिवार से गहराई से जुड़ी है। ऐसे में उनकी मां पर टिप्पणी को लोग व्यक्तिगत अपमान से ज्यादा सामाजिक अस्मिता पर हमला मान रहे हैं। भाजपा इसे भावनात्मक और नैतिक आक्रोश के रूप में जनता तक पहुंचा रही है, जिससे विपक्ष की चुनावी रणनीति कमजोर पड़ सकती है।

यह भी पढ़ें:  Bihar Police में बड़ा बदलाव! 37 अधिकारियों को प्रमोशन, 34 DSP बने वरीय DSP, 3 को मिला Big Promotions, देखें पूरी लिस्ट

बिहार बंद के दौरान क्या होगा?

सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक बिहार के प्रमुख शहरों और कस्बों में एनडीए कार्यकर्ता सड़कों पर उतरेंगे। दुकानों, बाजारों और निजी परिवहन को बंद कराने का प्रयास होगा। आपातकालीन सेवाएं जैसे अस्पताल, एम्बुलेंस, और जरूरी सुविधाएं चालू रहेंगी। रेल और लंबी दूरी की बस सेवाओं को प्रभावित नहीं किया जाएगा।

जनता की प्रतिक्रिया

बिहार बंद को लेकर जनता में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोग इसे “मां के सम्मान” का सवाल बताकर समर्थन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसे चुनावी राजनीति का हिस्सा बता रहे हैं। लेकिन इतना तय है कि यह विवाद बिहार की राजनीति को अगले कई महीनों तक प्रभावित करेगा।

यह भी पढ़ें:  Bihar Election का कांव-कांव | प्रशांत किशोर रोहतास के करगहर से लड़ेंगे विधानसभा चुनाव

राजनीति में गिरती भाषा और मर्यादा पर सवाल

यह पूरा घटनाक्रम एक और बड़ा सवाल खड़ा करता है – भारतीय राजनीति की भाषा और मर्यादा आखिर कहां तक गिरेगी?

लोकतांत्रिक समाज में असहमति जताने का अधिकार है, लेकिन व्यक्तिगत और पारिवारिक स्तर पर गाली-गलौज करना न केवल राजनीति, बल्कि पूरे समाज के लिए नुकसानदेह है। यही कारण है कि यह विवाद केवल राजनीतिक न होकर सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतीक बन गया है।

बिहार बंद केवल एक राजनीतिक विरोध नहीं,

4 सितंबर का बिहार बंद केवल एक राजनीतिक विरोध नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और पारिवारिक परंपराओं की रक्षा का प्रतीक बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी की मां पर हुई टिप्पणी ने एनडीए को जनता के बीच एकजुट होने का अवसर दिया है और यह मुद्दा आने वाले चुनाव में बार-बार गूंज सकता है। अब देखना यह होगा कि यह विवाद बिहार की जनता को किस हद तक प्रभावित करता है और इसका असर अगले विधानसभा चुनाव में कितना देखने को मिलता है।

जरूर पढ़ें

Darbhanga को मिली बड़ी सौगात – Darbhanga Airport, AIIMS, Kusheshwarsthan में खुलेगा नया थाना

दरभंगा में तीन नए थाने बनने जा रहे! एयरपोर्ट और एम्स इलाके को मिलेगी...

Bihar Election का कांव-कांव | Tejaswi V/S Modi, मुकेश सहनी का ‘परिवार, सीएम नीतीश के बेटे Nishant Put On Hold

बिहार चुनाव 2025: मां पर विवाद से गरमाई सियासत – तेजस्वी ने पीएम मोदी...

जाले में शिविर की पोल खुली! 20 साल से क्या कर रहा था अंचल? मालगुजारी रसीद कौन काटेगा! सामूहिक आवेदन सुनाई खरी-खरी

जाले में जमाबंदी पंजी को लेकर अफरातफरी! ग्रामीणों ने अंचल कार्यालय में सौंपा सामूहिक...

Darbhanga Medical College के छात्रों ने जीता Neonatal PG Quiz Competition, कुणाल-शिखा का धमाल, अब PATNA AIIMS में होगा मुकाबला

DMCH के डॉक्टरों ने जीता नियोनेटल क्विज! अब AIIMS पटना में दिखाएंगे कमाल। दरभंगा...
error: कॉपी नहीं, शेयर करें