पटना न्यूज़:
लोकसभा चुनाव में उम्मीदों पर फिरे पानी के बाद अब RJD ने वो तैयारी शुरू कर दी है, जो 2025 का पूरा खेल पलट सकती है. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने एक ऐसा सीक्रेट मिशन शुरू किया है, जिसकी रिपोर्ट सीधे उन्हीं की टेबल पर रखी जाएगी.
हालिया लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम न मिलने के बाद, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अब गहरी आत्म-समीक्षा के दौर में है. पार्टी 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती. इसी कड़ी में, हार के कारणों की तह तक जाने और भविष्य की रणनीति तैयार करने के लिए एक बड़े पैमाने पर डेटा जुटाने का अभियान शुरू किया गया है.
हार नहीं, 2025 के चक्रव्यूह की तैयारी?
सूत्रों के अनुसार, राजद नेतृत्व ने पार्टी पदाधिकारियों और हालिया चुनाव में उम्मीदवार रहे नेताओं को विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है. इस कवायद का मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि जमीनी स्तर पर पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहा और किन वजहों से नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं आए. यह सिर्फ हार का विश्लेषण नहीं, बल्कि 2025 के लिए एक मजबूत ‘चक्रव्यूह’ रचने की तैयारी है.
पार्टी का फोकस अब केवल परंपरागत वोट बैंक पर नहीं, बल्कि उन सभी सामाजिक और जातीय समूहों पर है, जिनके वोटों ने चुनाव परिणामों को प्रभावित किया. विश्लेषण में इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि पार्टी के पक्ष में और विपक्ष में किस तरह की वोटिंग हुई.
बूथ स्तर पर वोटों की ‘माइक्रो-सर्जरी’
राजद की यह पूरी कवायद बूथ स्तर पर केंद्रित है. पार्टी हर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बूथों का सामाजिक और जातीय समीकरण के आधार पर विश्लेषण कर रही है. इस ‘माइक्रो-सर्जरी’ के जरिए पार्टी यह समझने की कोशिश कर रही है कि:
- किन इलाकों में पार्टी का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा?
- कौन से सामाजिक समूह पार्टी से दूर छिटक गए?
- क्या M-Y (मुस्लिम-यादव) समीकरण के वोटों का भी बिखराव हुआ?
- NDA के मुकाबले RJD की रणनीति बूथ मैनेजमेंट में कहां विफल हुई?
यह ठोस डेटा पार्टी को यह समझने में मदद करेगा कि भविष्य में टिकट वितरण से लेकर चुनावी मुद्दे तय करने तक, किन बातों का ध्यान रखना होगा. यह एक तरह से पार्टी की संगठनात्मक और रणनीतिक कमजोरियों को दूर करने का एक वैज्ञानिक प्रयास है.
सिर्फ M-Y समीकरण ही काफी नहीं?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस विश्लेषण के जरिए राजद अपने परंपरागत M-Y समीकरण से आगे की रणनीति पर काम करना चाहता है. पार्टी यह जानना चाहती है कि अति पिछड़ा (EBC), दलित और अन्य समुदायों के बीच उसकी पैठ कितनी गहरी है और इसे कैसे बढ़ाया जा सकता है. लोकसभा चुनाव के नतीजों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि केवल एक या दो वोट बैंकों के सहारे चुनावी वैतरणी पार करना अब मुश्किल है. इसलिए, पार्टी अपनी रणनीति को और अधिक समावेशी बनाने के लिए इस डेटा-आधारित दृष्टिकोण को अपना रही है.
इस पूरी रिपोर्ट को गोपनीय रखा जाएगा और इसके निष्कर्षों के आधार पर ही 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन, प्रचार अभियान की रूपरेखा और घोषणापत्र के मुद्दे तय किए जाएंगे.

