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दिसम्बर, 13, 2025

Samastipur News: समस्तीपुर में नशे की दलदल में धंसते किशोर, लोहे की छड़ें बेचकर मिटा रहे लत

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Samastipur News: एक अदृश्य ज़हरीली बेल समस्तीपुर के नौनिहालों और किशोरों को अपनी गिरफ्त में ले रही है, जिसके परिणाम गंभीर और डरावने हैं। यह सिर्फ एक शहर की कहानी नहीं, बल्कि एक गहरी सामाजिक चिंता का विषय है। Samastipur News: शहर के विभिन्न क्षेत्रों में इन दिनों किशोरों की कौन कहे, छोटे-छोटे बच्चों में भी सूखे नशे की लत एक गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है। ये मासूम, जो कल देश का भविष्य बनने वाले थे, आज नशे की गर्त में धंसते जा रहे हैं।

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Samastipur News: समस्तीपुर में नशे की दलदल में धंसते किशोर, लोहे की छड़ें बेचकर मिटा रहे लत

शहर की गलियों से लेकर सुनसान कोनों तक, एक नया और चिंताजनक चलन तेज़ी से पैर पसार रहा है। किशोर और यहाँ तक कि छोटे बच्चे भी सूखे नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं। इस नशे के दलदल में धकेलने वाला सबसे आसान माध्यम उन्हें सस्ते में मिलने वाले पदार्थ हैं, जैसे व्हाइटनर, थिनर, और कुछ खास तरह के सलूशन। इन पदार्थों का सेवन उन्हें एक क्षणिक सुख देता है, लेकिन इसकी कीमत वे अपने भविष्य और स्वास्थ्य से चुका रहे हैं।

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यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि अपनी नशे की खुराक का इंतजाम करने के लिए ये बच्चे अब चोरी का रास्ता अपना रहे हैं। विशेष रूप से, वे लोहे की छड़ें और अन्य धातु कबाड़ी वालों को बेचकर पैसे जुटा रहे हैं। यह एक दुष्चक्र है जहां नशे की लत उन्हें अपराध की ओर धकेल रही है, और अपराध से मिले पैसों से वे अपनी लत को और गहरा कर रहे हैं। इस गंभीर सामाजिक समस्या को उजागर करता है कि समाज में कहीं न कहीं जागरूकता और नशा मुक्ति के प्रयासों में कमी है।

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Samastipur News: सूखे नशे का काला कारोबार और समस्तीपुर

समस्तीपुर में सूखे नशे का यह काला कारोबार छोटे बच्चों और किशोरों को अपना शिकार बना रहा है। नशीले पदार्थों की आसान उपलब्धता और उनके कम दाम, इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं। गली-मोहल्लों की दुकानों पर, और कई बार तो खुलेआम, ये पदार्थ बेचे जा रहे हैं जिन तक इन बच्चों की पहुँच आसान है। अभिभावकों और शिक्षकों को इस विषय पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि इसके दूरगामी परिणाम बेहद खतरनाक हो सकते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। अगर इस पर समय रहते लगाम नहीं लगाई गई, तो आने वाली पीढ़ी को एक गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है।

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इस समस्या के मूल में कई सामाजिक-आर्थिक कारण भी हो सकते हैं, जिनमें गरीबी, शिक्षा की कमी, और माता-पिता का बच्चों पर कम ध्यान शामिल है। इन बच्चों को इस दलदल से निकालने के लिए व्यापक स्तर पर सामाजिक और सरकारी पहल की ज़रूरत है।

बढ़ती लत: एक सामाजिक चुनौती

इस लत के शारीरिक और मानसिक प्रभावों पर तत्काल ध्यान देना आवश्यक है। लगातार इन पदार्थों के सेवन से शरीर के अंदरूनी अंग क्षतिग्रस्त होते हैं, मानसिक संतुलन बिगड़ता है, और वे समाज से कटते चले जाते हैं। कई मामलों में तो यह जीवन के लिए भी घातक सिद्ध होता है। यह सिर्फ व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है। पुलिस और प्रशासन को भी इस काले कारोबार पर नकेल कसने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। स्कूलों और घरों में बच्चों को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि वे इस जाल में फंसने से बच सकें। इन बच्चों को नशा मुक्ति की राह पर लाने के लिए परिवार, स्कूल और समाज तीनों को मिलकर काम करना होगा। इस विषय पर गहन विचार-विमर्श और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए इन बच्चों को सही दिशा देना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

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