सासाराम समाचार: बंद दीवारों के पीछे भी जीवन की एक नई सुबह मुमकिन है, जब उम्मीद की किरणें अंधेरे को चीर कर भीतर प्रवेश करती हैं। यही हुआ सासाराम की मंडल कारा में, जहां कैदियों के लिए सिर्फ सजा नहीं, बल्कि सुधार का मार्ग भी प्रशस्त किया गया।
सासाराम समाचार: मंडल कारा में कैदियों को सिखाया गया व्यवहार प्रबंधन, मानसिक स्वास्थ्य शिविर बना सहारा
सासाराम समाचार: जेल में मानसिक स्वास्थ्य उपचार सह जागरूकता शिविर का आयोजन
मंडल कारा सासाराम में बीते शुक्रवार को एक विशेष मानसिक स्वास्थ्य उपचार सह जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। सासाराम समाचार के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य कारागार के बंदियों को मानसिक रूप से सशक्त बनाना और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए तैयार करना था। यह शिविर कारा प्रशासन की ओर से एक महत्वपूर्ण कदम है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
शिविर के दौरान, बंदी मरीजों को व्यवहार प्रबंधन (बिहेवियर मैनेजमेंट) के महत्वपूर्ण गुर सिखाए गए। विशेषज्ञों ने उन्हें अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने और सकारात्मक सोच अपनाने के तरीके बताए। इसके साथ ही, कैदियों को विभिन्न मानसिक समस्याओं के प्रति जागरूक किया गया, ताकि वे ऐसे लक्षणों को पहचान सकें और समय पर सहायता प्राप्त कर सकें। इस तरह के कार्यक्रम मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने में अत्यंत सहायक सिद्ध होते हैं।
यह समझना आवश्यक है कि जेल में बंद व्यक्ति भी समाज का हिस्सा होते हैं और उनके मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना उनके शारीरिक स्वास्थ्य का। ऐसे शिविर न केवल कैदियों में सकारात्मक बदलाव लाते हैं, बल्कि उन्हें भविष्य के लिए एक बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा भी देते हैं। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/national/
इस पहल से कैदियों में आत्मविश्वास की भावना बढ़ी है, और वे अपनी गलतियों को सुधार कर एक नया जीवन शुरू करने के लिए प्रेरित हुए हैं। ऐसे प्रयासों से जेलों में एक सकारात्मक और सुधारोन्मुखी वातावरण का निर्माण होता है।
कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य का महत्व और नई पहल
मंडल कारा सासाराम द्वारा आयोजित यह शिविर कैदियों के समग्र कल्याण की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है। विशेषज्ञों ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे कैदियों को सही मार्गदर्शन और उपचार मिलने से उनके व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन आता है, जो उन्हें रिहाई के बाद समाज में बेहतर ढंग से समायोजित होने में मदद करता है। यह एक ऐसी पहल है जिसकी आज के समय में हर जेल में आवश्यकता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इन प्रयासों से न केवल कैदियों का जीवन सुधरता है बल्कि समाज को भी एक सुरक्षित और जागरूक नागरिक मिलता है। भविष्य में ऐसे शिविरों की निरंतरता सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता हर व्यक्ति तक पहुंच सके।




