राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और बिहार सरकार में दो बार मंत्री रह चुके तेज प्रताप यादव ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी ‘जनशक्ति जनता दल’ (जेजेडी) का गठन किया है. परिवार और पार्टी से निष्कासित किए जाने के बाद से ही तेज प्रताप अपनी अलग राह पर थे. अब उन्होंने अपनी पार्टी के विस्तार के लिए ‘महा सदस्यता अभियान’ की घोषणा की है, जिसे बिहार की राजनीति में एक बड़ी हलचल के तौर पर देखा जा रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेज प्रताप का यह कदम राष्ट्रीय जनता दल और खासकर तेजस्वी यादव के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है, क्योंकि इससे लालू प्रसाद यादव के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगने की आशंका है.
तेज प्रताप यादव ने गुरुवार को सोशल मीडिया के माध्यम से इस अभियान की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि ‘जनशक्ति जनता दल’ का यह महा सदस्यता अभियान (2025-28) 12 दिसंबर शुक्रवार को उनके सरकारी आवास 26, एम स्ट्रैंड रोड से दोपहर 1 बजे शुरू होगा. तेज प्रताप ने लोगों से अधिक से अधिक संख्या में पार्टी से जुड़ने की अपील की है, ताकि संगठन की शक्ति से राज्य को एक नई दिशा और मजबूती मिल सके. उन्होंने इस अभियान को सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि परिवार का विस्तार और एक वैचारिक आंदोलन भी बताया है.
तेजस्वी-तेज प्रताप की चुनावी अदावत
दरअसल, तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव के बीच राजनीतिक विरोध किसी से छिपा नहीं है. दोनों भाई राजनीति के मैदान में खुलकर एक-दूसरे के खिलाफ खड़े नजर आते हैं. विधानसभा चुनाव 2025 में भी दोनों भाइयों ने एक-दूसरे के चुनावी क्षेत्रों में न केवल अपने उम्मीदवार उतारे थे, बल्कि उनके लिए खुलकर वोट भी मांगे थे. भले ही तेज प्रताप यादव के प्रत्याशी चुनाव हार गए हों, लेकिन उनकी राजनीतिक सक्रियता में कोई कमी नहीं आई है.
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि यदि तेज प्रताप की पार्टी ‘जेजेडी’ का विस्तार होता है और उसके कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ती है, तो इसका सीधा नुकसान राजद को ही उठाना पड़ेगा. तेज प्रताप यादव सार्वजनिक रूप से यह भी कह चुके हैं कि राजद में वापसी करने से बेहतर वे मर जाना पसंद करेंगे. उनकी यह टिप्पणी दोनों भाइयों के बीच की राजनीतिक खाई को और गहरा करती है.
एनडीए का समर्थन और बढ़ी सुरक्षा
तेज प्रताप यादव अपनी गतिविधियों और बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं. सोशल मीडिया पर भी उनकी अच्छी खासी फैन फॉलोइंग है. खास बात यह है कि कुछ मामलों में वह एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार का समर्थन भी करते नजर आते हैं. दिलचस्प बात यह भी है कि एनडीए सरकार ने उनकी सुरक्षा में भी इजाफा किया है, जो बिहार की जटिल राजनीति में उनके अनूठे स्थान को दर्शाता है.


