तेज प्रताप यादव: बिहार की सियासत में लालू परिवार का जलवा किसी से छिपा नहीं। लेकिन जब घर के चिराग ही अपनी राह जुदा कर लें, तो क्या होगा? साल के अंत में एक बार फिर यादव परिवार चर्चा के केंद्र में है।
तेज प्रताप यादव: लालू परिवार में नई सियासी जंग, क्या RJD से अलग होगी ‘जनशक्ति परिषद’?
तेज प्रताप यादव का ‘जनशक्ति परिषद’: RJD के लिए नई चुनौती?
बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव का परिवार हमेशा सुर्खियों में रहा है। बीते पूरे साल यह परिवार किसी न किसी वजह से चर्चा के केंद्र में बना रहा। अब साल के अंतिम दिनों में एक बार फिर यादव परिवार से जुड़ा एक नया विवाद सामने आया है, जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। यह मामला राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से अलग राह पर चल रहे लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और उनकी नई पार्टी ‘जनशक्ति परिषद’ से जुड़ा है।
तेज प्रताप यादव, जो अपनी बेबाकी और अलग शैली के लिए जाने जाते हैं, ने कई बार पार्टी लाइन से हटकर बयान दिए हैं और अब उन्होंने अपनी अलग राजनीतिक राह चुन ली है। उनकी ‘जनशक्ति परिषद’ को एक स्वतंत्र राजनीतिक इकाई के तौर पर देखा जा रहा है, जो भविष्य में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के लिए एक नई चुनौती पेश कर सकती है। परिवार के भीतर से ही उभरती यह नई धारा न केवल लालू परिवार की एकता पर सवाल उठा रही है, बल्कि बिहार की राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित कर सकती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
परिवारिक दरार और सियासी समीकरण
लालू परिवार के भीतर यह विवाद कोई नया नहीं है, लेकिन तेज प्रताप यादव का अपनी अलग पार्टी के साथ मैदान में उतरना एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। यह न केवल परिवार के भीतर की दरार को सार्वजनिक कर रहा है, बल्कि बिहार में आगामी चुनावों के मद्देनजर नए सियासी समीकरणों को भी जन्म दे सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम से RJD को आंतरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, खासकर तब जब तेजस्वी यादव पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं।
तेज प्रताप यादव की यह चाल पार्टी के वोट बैंक और कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी असर डाल सकती है। क्या यह कदम राजद को कमजोर करेगा या तेज प्रताप अपनी नई पहचान बना पाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
जनशक्ति परिषद का भविष्य
तेज प्रताप यादव की ‘जनशक्ति परिषद’ का भविष्य क्या होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है। हालांकि, उनका यह कदम दर्शाता है कि वह अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को लेकर गंभीर हैं। बिहार जैसे राज्य में, जहां जाति और परिवार का राजनीति में गहरा प्रभाव होता है, एक स्थापित राजनीतिक परिवार के सदस्य का अपनी अलग राह चुनना कई मायनों में महत्वपूर्ण हो जाता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह घटनाक्रम आने वाले समय में बिहार की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव ला सकता है, जिसके केंद्र में लालू परिवार और उनकी विरासत एक बार फिर से होगी। यह देखना बाकी है कि जनशक्ति परिषद किस तरह से अपनी जगह बनाती है और क्या यह RJD के प्रभाव को कम कर पाती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।






