पटना | नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने देश की सुरक्षा में योगदान देने वाले अर्धसैनिक बलों (Paramilitary Forces) के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक महत्वपूर्ण पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने अर्धसैनिक बलों के जवानों को भारतीय सेना के समकक्ष सम्मान, मुआवज़ा और सुविधाएं देने की मांग की है।
समान बलिदान, पर असमान सम्मान
तेजस्वी यादव ने पत्र में लिखा है कि देश की रक्षा में थलसेना (Indian Army), वायुसेना (Indian Air Force), नौसेना (Indian Navy) के साथ-साथ CRPF, BSF, ITBP, CISF, SSB और Assam Rifles जैसे अर्धसैनिक बलों के जवान भी अपने प्राणों की आहुति देते हैं।
“यह अत्यंत दुखद है कि मातृभूमि के लिए बलिदान देने वाले जवानों को मिलने वाले मुआवजे, सम्मान और सामाजिक सुरक्षा में साफ भेदभाव किया जाता है,” तेजस्वी ने कहा।
जहाँ सेना के जवानों को शहीद होने पर राज्य व केंद्र सरकार से उचित सम्मान, आर्थिक सहायता और पेंशन योजनाएं मिलती हैं, वहीं अर्धसैनिक बलों के जवानों को ऐसा सम्मान व सुरक्षा नहीं मिल पाती।
भेदभाव मिटाने की ज़रूरत: तेजस्वी यादव की चार प्रमुख मांगें
पत्र के माध्यम से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता ने केंद्र सरकार से अपील करते हुए निम्नलिखित चार ठोस मांगें रखी हैं:
अर्धसैनिक बलों के शहीदों को ‘Battle Casualty’ घोषित किया जाए
इससे उन्हें भारतीय सेना के जवानों के समान मुआवजा और सुविधाएं मिल सकेंगी।सरकारी नौकरी, पेंशन और अन्य सुविधाओं में समानता हो
सेना और अर्धसैनिक बलों के शहीदों के परिजनों को बराबरी का हक मिलना चाहिए।Liberalised Pension Scheme स्वतः लागू हो
यह योजना फिलहाल केवल सेना के जवानों के लिए लागू होती है। इसे अर्धसैनिक बलों के लिए भी अनिवार्य किया जाए।‘वन रैंक वन पेंशन’ योजना का लाभ मिले
समान परिस्थितियों में सेवा देने वाले अर्धसैनिक जवानों को भी One Rank One Pension (OROP) के तहत बराबर पेंशन दी जाए।
समानता की आवाज़ को समर्थन जरूरी
तेजस्वी यादव का यह कदम उन हजारों अर्धसैनिक बलों के जवानों के लिए एक आशा की किरण बन सकता है, जिन्हें अब तक उनकी सेवा के अनुरूप सम्मान नहीं मिला है। यह एक राष्ट्रव्यापी बहस की ओर इशारा करता है कि क्या सुरक्षा बलों के बीच भेदभाव देश के हित में है?
यह भी गौरतलब है कि CRPF, BSF, और SSB जैसे बल आंतरिक सुरक्षा, सीमा की निगरानी, और आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई जैसी जिम्मेदारियाँ संभालते हैं। फिर भी उन्हें वही सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा नहीं मिलती जो तीनों सेनाओं (Army, Navy, Air Force) के जवानों को दी जाती है।
राजनीतिक और राष्ट्रीय दृष्टिकोण
तेजस्वी यादव के पत्र को केवल एक राजनीतिक स्टैंड न मानते हुए यदि उसे राष्ट्रीय सुरक्षा और समानता के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए, तो यह नीति निर्माण के लिए एक सकारात्मक पहल हो सकती है।
यह मुद्दा केवल एक राज्य या पार्टी तक सीमित नहीं है, बल्कि देशभर के अर्धसैनिक बलों और उनके परिजनों के भविष्य से जुड़ा है।
निष्कर्ष: राष्ट्रीय सेवा का सम्मान हो समान
तेजस्वी यादव का यह पत्र एक सशक्त संदेश है कि रक्षा बलों में समानता, सम्मान और न्याय सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
यदि भारत को एक सुरक्षित, समावेशी और न्यायपूर्ण राष्ट्र बनाना है, तो ऐसे नीतिगत बदलाव आवश्यक हैं, जिससे सभी सुरक्षाकर्मी — चाहे वे सेना में हों या अर्धसैनिक बलों में — एक समान सम्मान प्राप्त करें।