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10 सितम्बर, 2024
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Bihar के शिक्षकों में मचेगा घमासान? कौन होगा सीनियर – BPSC शिक्षक या विशिष्ट शिक्षक? प्रधान शिक्षक-प्रधानाध्यापक पर भी पेच –पढ़िए क्यों टंगी शिक्षकों की प्रमोशन और वेतन पर तलवार!

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बिहार के शिक्षकों में मचेगा घमासान? BPSC बनाम विशिष्ट शिक्षक की लड़ाई सुलझाएगी कमेटी। कौन होगा सीनियर – BPSC शिक्षक या विशिष्ट शिक्षक? शिक्षकों की प्रमोशन और वेतन पर टंगी तलवार – वरीयता विवाद निपटाने को कमेटी गठित।@पटना, देशज टाइम्स।

6 लाख शिक्षकों के लिए राहत की खबर? 2 लाख BPSC शिक्षक और ढाई लाख विशिष्ट शिक्षक – किसे मिलेगा सीनियर का दर्जा? वरीयता विवाद सुलझाने में जुटा शिक्षा विभाग। प्रधान शिक्षक-प्रधानाध्यापक पर भी पेच – अब कमेटी तय करेगी सीनियरिटी का फॉर्मूला। कमेटी जल्द देगी बड़ा फैसला 6 लाख शिक्षकों की वरीयता तय होगी! शिक्षा विभाग ने बनाई कमेटी – 15 दिन में रिपोर्ट।@पटना, देशज टाइम्स।

बिहार में शिक्षकों की वरीयता निर्धारण की प्रक्रिया शुरू, शिक्षा विभाग ने बनाई कमेटी

शिक्षकों की वरीयता पर जल्द होगा फैसला

पटना, देशज टाइम्स। बिहार के प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत विभिन्न श्रेणियों के लगभग 6 लाख शिक्षकों की वरीयता (Seniority) तय करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है, जिसे 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। रिपोर्ट के आधार पर विभाग आगे की कार्यवाही करेगा।

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कमेटी का गठन और संरचना

शिक्षा विभाग द्वारा गठित कमेटी की अध्यक्षता प्राथमिक शिक्षा निदेशक साहिला करेंगी। इसके सदस्य के रूप में प्रशासन, वित्त और शिक्षा विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल किए गए हैं।

कमेटी में शामिल अधिकारी इस प्रकार हैं – परामर्शी पंकज कुमार, निदेशक प्रशासन मनोरंजन कुमार, संयुक्त सचिव अमरेश कुमार मिश्र, क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक (सहरसा) अमित कुमार, प्राथमिक शिक्षा उप निदेशक संजय कुमार चौधरी, माध्यमिक शिक्षा उप निदेशक अब्दुस सलाम अंसारी, आंतरिक वित्तीय सलाहकार संजय कुमार सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी (गोपालगंज) योगेश कुमार

कमेटी शिक्षक, प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक नियुक्ति नियमावली का गहन अध्ययन करेगी। इसके आधार पर सेवा निरंतरता (Service Continuity), वेतन संरक्षण (Pay Protection) और वरीयता क्रम निर्धारण (Seniority List) जैसे मुद्दों पर विचार किया जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर कमेटी शिक्षक संगठनों और विधि विशेषज्ञों से भी राय ले सकेगी।

विवाद की असली वजह

शिक्षकों की सीनियरिटी को लेकर सबसे बड़ा विवाद विशिष्ट शिक्षक (Special Teachers) और बीपीएससी से चयनित विद्यालय अध्यापकों के बीच है।

राज्य की 9,000 ग्राम पंचायतों और नगर निकायों के माध्यम से नियुक्त लगभग 2.5 लाख शिक्षक सक्षमता परीक्षा पास कर विशिष्ट शिक्षक बन चुके हैं।

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पिछले दो वर्षों में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा 2,33,000 विद्यालय अध्यापक नियुक्त किए गए हैं।

बीपीएससी से चयनित शिक्षक खुद को विशिष्ट शिक्षकों से वरीय मानते हैं, जबकि विशिष्ट शिक्षक इसे मानने को तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि विवाद लगातार गहराता जा रहा है।

प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक का पेच

इसी तरह प्रधान शिक्षक (Head Teacher) और प्रधानाध्यापक (Principal) के मामले में भी जटिल स्थिति बनी हुई है। कौन किससे वरिष्ठ है और किसे प्रोन्नति (Promotion) मिलेगी, इस पर लगातार सवाल उठते रहे हैं।

शिक्षा विभाग की चिंता और पहल

शिक्षा विभाग के सचिव सह माध्यमिक शिक्षा निदेशक दिनेश कुमार ने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि वर्तमान में विभाग के अधीन कई श्रेणियों के शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें –

स्थानीय निकाय शिक्षक, विशिष्ट शिक्षक, बीपीएससी से चयनित विद्यालय अध्यापक, प्रधान शिक्षक, प्रधानाध्यापक शामिल हैं। स्थानीय निकाय के शिक्षक, सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद विशिष्ट शिक्षक का दर्जा प्राप्त कर चुके हैं। ऐसे में सेवा निरंतरता, वेतन विसंगति, प्रोन्नति और वरीयता जैसे मुद्दे लगातार उठते रहे हैं।

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शिक्षा व्यवस्था पर असर

बिहार में शिक्षक शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं। राज्य में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा का स्तर पहले से ही चुनौतीपूर्ण रहा है। यदि वरीयता विवाद का समाधान समय पर नहीं निकला तो इससे –

शिक्षकों में असंतोष बढ़ सकता है। प्रोन्नति और पदस्थापन की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। विद्यालयों की शैक्षणिक गतिविधियों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

सेवा अवधि, नियुक्ति नियमावली के आधार पर

शिक्षा क्षेत्र के जानकार मानते हैं कि इस विवाद का समाधान केवल स्पष्ट नियमावली और पारदर्शी प्रक्रिया से ही संभव है। यदि सभी श्रेणियों के शिक्षकों की सेवा अवधि और नियुक्ति नियमावली के आधार पर वरीयता तय की जाए तो विवाद खत्म किया जा सकता है।

लंबे समय से चली आ रही समस्या

बिहार सरकार का यह कदम शिक्षकों की लंबे समय से चली आ रही समस्या के समाधान की दिशा में अहम है। यदि कमेटी की रिपोर्ट पर निष्पक्ष निर्णय लिया जाता है तो लाखों शिक्षकों की वरीयता, प्रोन्नति और वेतन संरक्षण से जुड़े विवाद सुलझ सकते हैं।

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