भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी समान नागरिक संहिता लागू करने की तैयारी कर रही है। बिहार समेत भाजपा शासित अन्य राज्यों में भी इसकी मांगे तेज हो गई है। इसी बीच अब एनडीए में भाजपा के साथ शामिल जदयू ने इसको लेकर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर कर दी है।
जानकारी के अनुसार,उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने समान नागरिक संहिता (कॉमन सिविल कोड) का मसौदा तैयार कर लिया है। इसे जल्द ही राज्य में लागू किया जाएगा।
यूपी सरकार भी इसे लागू करने पर विचार कर रही है। ऐसे में बिहार में भी कॉमन सिविल कोड लागू करने की मांग उठ रही है। इसे लेकर जदयू ने अपना रुख साफ कर दिया है। विधान पार्षद सह पार्टी के संसदीय दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता नहीं है।
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) को लागू करने की तैयारी शुरू कर दी गई है? प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) के बयान पर गौर करेंगे तो कुछ ऐसा ही होता प्रतीत हो रहा है। दरअसल, पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा खूब गरमाया था। भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janata Party) के मूल एजेंडे में यह मुद्दा रहा है।
ऐसे में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कमेटी बनाने की घोषणा की, तो यह मुद्दा खासा गरमाया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) से भी यह सवाल किया गया कि क्या सरकार बनने के बाद वे इस मुद्दे पर काम करेंगे? इस पर योगी ने कहा कि संविधान ही सबसे ऊपर है। संविधान सबको बराबरी का अधिकार देता है। अब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने पर बड़ा बयान दे दिया है।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने समान नागरिक संहिता को एक ”अच्छा कदम” बताते हुए सोमवार को कहा कि राज्य सरकार इस अवधारणा की समीक्षा कर रही है और इसे लागू करने के लिये तैयार है। उन्होंने राज्य में आम आदमी पार्टी (आप) के तीसरे राजनीतिक विकल्प के रूप में उभरने पर भी टिप्पणी की, जहां इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।
उन्होंने यहां हिमाचल भवन में संवाददाताओं से कहा, ”हिमाचल प्रदेश एक शांतिपूर्ण राज्य है। आप की राजनीतिक शैली वहां काम नहीं करेगी। राज्य कोई तीसरा विकल्प स्वीकार नहीं करेगा।”
आम आदमी पार्टी ने हाल में हिमाचल प्रदेश के पड़ोसी राज्य पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी, जिसके बाद पहाड़ी राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सामने आप के रूप में एक नयी चुनौती पेश आई है।
भाजपा शासित उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने की इच्छा के बारे में पूछे जाने पर ठाकुर ने कहा, ”समान नागरिक संहिता एक अच्छा कदम है। राज्य में इसकी समीक्षा की जा रही है। हम इसे हिमाचल प्रदेश में लागू करने के लिये तैयार हैं।”
जदयू ने कहा कि बिहार में
नीतीश कुमार की सरकार है और उनके मुख्यमंत्री रहते हुए किसी भी कीमत पर समान नागरिक संहिता को लागू करने का सवाल ही उठता है। जदयू के तरफ से यह बात पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है।
कुशवाहा ने कहा कि बिहार में समान नागरिक संहिता लागू नहीं होगा। देश में अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं। अभी जो व्यवस्था है, वह ठीक है। रविवार को पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में जदयू नेता ने कहा कि बिहार में एनडीए की सरकार है। सब को पता है कि कई मसलों पर जदयू की राय भाजपा से अलग है। जब तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं, राज्य में कॉमन सिविल कोड लागू होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। कॉमन सिविल कोड से परेशानी क्या है के सवाल पर जदयू नेता ने कहा कि आखिर इसकी जरूरत क्या है।
कुछ समय पहले केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय से बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने बिहार में समान नागरिकता संहिता लागू करने बात कही थी। उनका कहना था कि ऐसे कानून की जरूरत इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए है कि हमारी जनसंख्या का घनत्व पहले ही उससे ज्यादा है जितना हम संभाल सकते हैं। उन्होंने कहा था कि यह राजनीतिक नहीं सामाजिक मुद्दा है।
भाजपा शासित राज्यों में समान नागरिक संहिता हो लागू
दरअसल,भोजपुर में भाजपा के तरफ से आयोजित विजयोत्सव समारोह के दौरान भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा था कि भाजपा शासित राज्यों में समान नागरिक संहिता को लागू किया जाएगा। इसके बाद उपेन्द्र कुशवाहा ने यह कड़ा बयान दिया है।
देश संविधान से चल रहा
कुशवाहा ने बिहार में समान नागरिक संहिता की जरूरत पर सवाल उठाते हुए कहा देश संविधान से चल रहा है और आगे भी उसी से चलेगा। जब बिहार में समान नागरिक संहिता की जरूरत ही नहीं है, तो इसका सवाल कहां से उठता है? बिहार में नीतीश कुमार की सरकार के रहते यह लागू नहीं होगा।
एनडीए की सरकार में इस बड़े मुद्दे पर जदयू अकेले कैसे फैसला कर सकता है, इस सवाल पर उपेन्द्र कुशवाहा ने दो-टूक कहा कि उनकी पार्टी अपनी नीतियों से समझौता नहीं कर सकती। चाहे जो भी हो, समान नागरिक संहिता का सवाल ही नहीं उठता है।
जानकारी के अनुसार, बिहार में भाजपा व जेडीयू कई मामलों में एक-दूसरे के आमने-सामने आते रहे हैं। भाजपा बिहार में कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को घेरती रही है। ताजा मामला समान नागरिक संहिता का है। भाजपा नेता और मंत्री जनक राम पूरे बिहार सहित देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के पक्ष में हैं। इस मुद्दे पर जेडीयू के विरोध पर वे कहते हैं कि उन्हें उम्मीद है कि सहयोगी भी इसके लिए मान जाएंगे।