Upendra Kushwaha Family Politics: बिहार की सियासी बिसात पर, उपेंद्र कुशवाहा का नाम हमेशा ही एक चतुर खिलाड़ी के तौर पर उभरा है, जिनके हर दांव से राजनीति का समीकरण बदलता रहा है। लेकिन अब उनके घर की दहलीज से सियासत की नई पौध फूट रही है, जो बिहार के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बनी हुई है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
Upendra Kushwaha Family Politics: उपेंद्र कुशवाहा का ‘परिवार’ प्लान, क्या बहू साक्षी मिश्रा भी बनेंगी सियासत का चेहरा?
Upendra Kushwaha Family Politics: ‘घर से बाहर’ निकल रही कुशवाहा की सियासी विरासत
बिहार की राजनीति में उपेंद्र कुशवाहा का नाम लंबे समय से रणनीति, संगठन और सत्ता संतुलन का पर्याय माना जाता रहा है। उनकी राजनीतिक चालें अक्सर विरोधियों को चौंकाती रही हैं। लेकिन अब उनकी राजनीति एक नए कोण से चर्चा में है, जहाँ वे अपने परिवार को भी सियासत के मुख्य मंच पर लाने की मुहिम में जुटे दिख रहे हैं। पहले उन्होंने अपनी पत्नी को विधायक बनाया, फिर अपने बेटे को मंत्री पद दिलवाया, और अब उनकी बहू साक्षी मिश्रा की संभावित सियासी एंट्री पर अटकलें तेज हैं।
सियासी गलियारों में इस बात की जोरदार चर्चा है कि उपेंद्र कुशवाहा अपनी बहू साक्षी मिश्रा को लोकसभा चुनाव में चुनावी मैदान में उतार सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो यह बिहार में वंशवाद की राजनीति का एक और उदाहरण होगा, जहाँ परिवार के सदस्यों को राजनीतिक विरासत सौंपने का चलन खूब देखा जाता है। हालांकि, कुशवाहा खेमे से इस पर अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इसके लिए खाका तैयार किया जा चुका है।
कुशवाहा परिवार का बढ़ता सियासी कद और नई रणनीति
उपेंद्र कुशवाहा, जो खुद कई बार सांसद और विधायक रह चुके हैं, और केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं, अब अपने परिवार के सदस्यों को भी अपनी राजनीतिक राह पर आगे बढ़ा रहे हैं। उनकी पत्नी जहाँनाबाद से विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) चुनी गईं और उनके बेटे को नीतीश कुमार सरकार में मंत्री पद मिला। यह कदम दर्शाता है कि कुशवाहा परिवार अब बिहार की राजनीति में अपनी जड़ें और गहरी कर रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह उपेंद्र कुशवाहा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। वे अपने परिवार के माध्यम से अपनी राजनीतिक पकड़ को मजबूत करना चाहते हैं और भविष्य में पार्टी के भीतर और गठबंधन में अपनी सौदेबाजी की शक्ति बढ़ाना चाहते हैं। ऐसे में साक्षी मिश्रा की एंट्री को एक अहम कदम माना जा रहा है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/national/
बहू साक्षी मिश्रा: एक नया सियासी दांव?
साक्षी मिश्रा की संभावित राजनीतिक एंट्री कई सवाल खड़े करती है। क्या वे भी अपने पति और ससुर की तरह राजनीति में अपनी जगह बना पाएंगी? उनकी शिक्षा और सामाजिक कार्य में उनकी भूमिका को लेकर भी चर्चाएं हो रही हैं। हालांकि, उनका राजनीतिक अनुभव भले ही शून्य हो, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा का राजनीतिक कौशल उन्हें आगे बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह वंशवाद की राजनीति बिहार के मतदाताओं पर कितना असर डालती है।
यह कदम उपेंद्र कुशवाहा के राजनीतिक सफर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। जहाँ एक तरफ वे अपने परिवार को सशक्त कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष उन पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप भी लगा सकता है। बिहार की राजनीति में ऐसे दांव-पेंच आम बात है, लेकिन कुशवाहा का यह कदम उनकी भविष्य की राजनीतिक दिशा तय करने वाला साबित होगा, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।


