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दिसम्बर, 14, 2025

Patna News: यूरिनरी स्ट्रक्चर से किडनी को खतरा! जानें पटना में आधुनिक इलाज और बचाव के तरीके

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Patna News: ज़िंदगी की गाड़ी जब पटरी से उतरती है, तो शरीर के छोटे-छोटे हिस्से भी बड़ा दर्द बन जाते हैं। पुरुषों में बढ़ती एक ऐसी ही भयावह समस्या, जिसका समय पर इलाज न हो तो यह जीवन को दुश्वार कर सकती है, खासकर जब बात किडनी तक पहुंच जाए।

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यूरीथ्रल स्ट्रिक्चर, जिसे आमतौर पर मूत्रमार्ग संकुचन कहा जाता है, पुरुषों में तेजी से फैल रही एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। इसमें मूत्रमार्ग पतला हो जाता है, जिससे पेशाब करने में कठिनाई होती है। प्रारंभिक अवस्था में इसका पता न चल पाना और समय पर उपचार न मिलना, कई बार किडनी को भी स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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विशेषज्ञों के अनुसार, यह समस्या जीवनशैली में बदलाव, चोट लगने, संक्रमण या सर्जरी के बाद भी उत्पन्न हो सकती है। अगर किसी पुरुष को पेशाब करने में जलन, दर्द, रुक-रुक कर पेशाब आना या बार-बार पेशाब का इन्फेक्शन हो रहा है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इन लक्षणों को नजरअंदाज करना गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकता है।

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यह भी पढ़ें:  Urethral Stricture: पुरुषों में गंभीर मूत्रमार्ग संकुचन की समस्या, जानें बचाव और आधुनिक उपचार

Patna News: पुरुषों में बढ़ रहा मूत्रमार्ग संकुचन का खतरा

चिकित्सा जगत में हुई प्रगति के कारण अब मूत्रमार्ग संकुचन का इलाज काफी हद तक संभव है। पटना के विशेषज्ञ डॉक्टर कुमार राजेश रंजन जैसे चिकित्सक बताते हैं कि समय पर पहचान और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों से इस बीमारी को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इसमें दवाओं से लेकर विभिन्न प्रकार की सर्जिकल प्रक्रियाएं शामिल हैं, जो मरीज की स्थिति और संकुचन की गंभीरता पर निर्भर करती हैं।

जागरूकता ही बचाव का पहला कदम है। पुरुषों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए और किसी भी असामान्य लक्षण को गंभीरता से लेना चाहिए। नियमित जांच और सही समय पर इलाज, इस गंभीर समस्या से छुटकारा दिला सकता है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें (https://deshajtimes.com/news/national/) आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

आधुनिक इलाज और भविष्य की चुनौतियां

वर्तमान में लेज़र तकनीक और एंडोस्कोपिक विधियाँ यूरीथ्रल स्ट्रिक्चर के इलाज में काफी प्रभावी साबित हो रही हैं। इन तकनीकों से रिकवरी तेजी से होती है और मरीज जल्द ही सामान्य जीवन में लौट पाता है। हालांकि, सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मरीज को शुरुआती लक्षणों पर ही ध्यान देना चाहिए, ताकि समस्या गंभीर रूप न ले। लापरवाही अक्सर बीमारी को असाध्य बना देती है। स्वास्थ्य विभाग भी इस दिशा में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को शिक्षित करने का प्रयास कर रहा है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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