Big Revelation In GI Survey: क्या सूख जाएंगीं North + South Bihar की 24 नदियां? बलान 84 किमी, लखनदेई नदी में 17 किमी तक गाद! GI Survey में बड़ा खुलासा…। क्या सूख जाएंगी बिहार की 24 नदियां? GI सर्वे में लखनदेई-बलान की हालत चिंताजनक है! वहीं, बिहार की नदियां संकट में हैं। बलान नदी में 84 किमी तक गाद, लखनदेई भी बेहाल है। उत्तर और दक्षिण बिहार की 24 नदियां सूखने की कगार पर है। GI Survey से हड़कंप मचा है।
अब आतंकियों की बची-कुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है… — PM MODI in Madhubani
क्या अब इतिहास बन जाएंगी बिहार की नदियां?
जानकारी के अनुसार, 24 नदियों पर संकट के बीच बलान और लखनदेई का प्रवाह थम चुका है। ऐसे में, जानकार यही बता रहे, पूछ रहे, क्या अब इतिहास बन जाएंगी बिहार की नदियां? GI Survey रिपोर्ट से आई बड़ी चेतावनी के बाद क्या हुआ। आइए जानते हैं इस खास रिपोर्ट में
उत्तर बिहार की दो प्रमुख नदियों — लखनदेई (Lakhandai River) और बलान (Balan River) को फिर से सरस सलिला (reviving rivers) बनाने के लिए सरकार ने प्रयास शुरू कर दिए हैं।
मनरेगा से नदियों के गाद प्रबंधन की योजना
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत:
नदियों के प्रवाह क्षेत्र से गाद निकाली जाएगी (silt removal)
जीवनदायिनी नदियों को फिर से प्रवाहित (restoration of flow) करने का प्रयास किया जाएगा।
राज्य के मनरेगा आयुक्त ने संबंधित जिलों को पत्र भेजकर प्रस्ताव मांगे हैं। मुजफ्फरपुर में जिला ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी मानव दिवस, संसाधन और लागत का आकलन कर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।
GI Survey में सामने आया था खतरा
पिछले साल के जीआई सर्वे (Geographical Information Survey) में पाया गया कि:
लखनदेई नदी (128 किमी लंबी) में 17 किलोमीटर प्रवाह क्षेत्र में गाद भर गई है।
बलान नदी (150 किमी लंबी) में 84 किलोमीटर हिस्से में गाद भरने से नदी के सूखने का खतरा बढ़ गया है।
सर्वे में उत्तर बिहार की 16 और दक्षिण बिहार की 8 नदियों के सूखने की आशंका जताई गई है।
जल संरक्षण के लिए बहुआयामी प्रयास
जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (DRDA) के निदेशक संजय कुमार ने बताया कि:
पहले चरण में लखनदेई और बलान नदियों पर काम होगा।
आकलन के बाद रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी जाएगी।
अन्य जल संरक्षण विभागों से भी सहयोग लिया जाएगा।
यह परियोजना बाढ़ नियंत्रण (flood control) और जल जीवन मिशन (water conservation mission) जैसे बड़े अभियानों में भी मददगार साबित हो सकती है।