Mid Day Meal Cook Salary Hike | Bihar News | Election Strategy 2025 | Nitish Govt Update | बिहार के रसोइयों की किस्मत बदलेगी? मानदेय में हो सकती है तीन से आठ गुना तक बढ़ोतरी।@पटना, देशज टाइम्स।
बिहार सरकार का बड़ा कदम: विधानसभा चुनाव से पहले रसोइयों के लिए तोहफा
पटना, देशज टाइम्स। बिहार सरकार ने राज्य के स्कूलों में कार्यरत रसोइयों और सहायकों को लेकर एक बड़ी घोषणा की तैयारी कर ली है। मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day Meal Scheme) के तहत कार्यरत इन कर्मियों का मासिक मानदेय 1650 रुपये से बढ़ाकर 3000 से 8000 रुपये करने का प्रस्ताव तैयार हो चुका है।
छह विकल्पों पर विचार, जल्द होगी अंतिम मुहर
शिक्षा विभाग ने इस मानदेय बढ़ोतरी के लिए छह विकल्प (₹3000, ₹4000, ₹5000, ₹6000, ₹7000, ₹8000) तैयार किए हैं। प्रस्ताव पर कैबिनेट स्तर पर जल्द निर्णय संभव है। अनुमानित 450 से 550 करोड़ रुपये प्रति माह का अतिरिक्त खर्च आएगी। इससे 2.38 लाख रसोइयों को राहत मिलेगी जो लगभग 70 हजार स्कूलों में बच्चों को मध्याह्न भोजन योजना के तहत खाना बनाकर परोसतीं हैं।
तमिलनाडु-केरल से पीछे है बिहार, समानता की मांग
वर्तमान में बिहार में रसोइयों को ₹1650 मासिक मिलता है, जबकि तमिलनाडु: ₹12,500, केरल: ₹12,000, हरियाणा: ₹7,000, इससे स्पष्ट है कि बिहार के रसोइयों को बहुत कम पारिश्रमिक दिया जा रहा है।
रसोइयों की संख्या और जिम्मेदारियां
2.38 लाख से अधिक रसोइया और सहायक बिहार के 70,000 स्कूलों में कार्यरत हैं।ये महिलाएं प्रतिदिन कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए भोजन बनाती हैं। साथ ही वितरण, सफाई और अन्य कामों की जिम्मेदारी भी निभाती हैं। सरकार ने मानदेय बढ़ाने के लिए छह अलग-अलग विकल्पों पर विचार किया है, जिसमें 3000, 4000, 5000, 6000, 7000 और 8000 रुपये प्रतिमाह हो सकता है। इनमें से किसी एक प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है।
न्यूनतम मजदूरी से भी कम मिल रहा मानदेय
1 अप्रैल 2025 से बिहार में अकुशल श्रमिक की न्यूनतम मजदूरी ₹424/दिन (₹11,024/माह) तय की गई है। इसके मुकाबले रसोइयों का वेतन कम से कम छह गुना कम है। इसी आधार पर रसोइयों की ₹10,000 से ₹15,000 मासिक वेतन की मांग लगातार हो रही है।
चुनावी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है यह योजना
ग्रामीण महिलाओं का एक बड़ा वोट बैंक रसोइया बहनें बन चुकी हैं। सरकार इस फैसले को चुनाव पूर्व सकारात्मक संकेत के तौर पर देख रही है। विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने भी रसोइयों की मांग का समर्थन किया है।
क्या बदल जाएगी रसोइयों की तस्वीर?
यदि यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो आर्थिक मजबूती और सम्मान दोनों मिलेगा। सरकार को चुनाव में सीधा फायदा हो सकता है। सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम कदम होगा।
अब टिकी हैं निगाहें अंतिम घोषणा पर
यह फैसला सिर्फ आर्थिक नहीं, राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। बिहार की लाखों रसोइयों को उम्मीद है कि इस बार सरकार उनके हक में बड़ा फैसला लेगी।