Muzaffarpur News | Katra Pipa Bridge | कटरा-बकुची पीपा पुल होना है पार, पहले दीजिए अवैध ‘टैक्स’ क्योंकि प्रशासन है नहीं। सरकार को इससे मतलब नहीं। ढ़िढ़ोरा सुनिएगा तो सुशासन का हर रोज इश्तिहार छपता है।
अखबारों में टीवी में प्रचार देखिए तो लगेगा साहेब…ये सरकार ही है जिससे हमारी और आपकी जिंदगी टिकी है
अखबारों में टीवी में प्रचार देखिए तो लगेगा साहेब…ये सरकार ही है जिससे हमारी और आपकी जिंदगी टिकी है। मगर सरकार से यह कतई ना पूछिएगा कि हम कटरा पीपा पुल कैसे पार करें? यह मत पूछिएगा इस मनमानी, इस अवैध टैक्स की कमाई क्यों और किसके लिए….क्या जरूरत है। पैसा दीजिए चाहे कोई भी हो? तभी ही जा सकते हैं…सरकार और प्रशासन को सोचना चाहिए। मगर, सोचना है क्यों? लोग जैसे तैसे पार तो हो ही रहे, भले अवैध टैक्स भरना पड़े…सो…मनमानी चरम पर है।
प्रशासनिक उपेक्षा और अव्यवस्था का यह बड़ा उदाहरण है
प्रशासनिक उपेक्षा एवं अव्यवस्था का यह बड़ा उदाहरण हो सकता है। कटरा-बकुची पथ पर स्थित पीपा पुल को पार करने वालों को भी दस रुपये टैक्स देना पड़ता है। दोपहिया वाहन के लिए 10 रुपये तो चारपहिया के लिए 50 रुपये देना पड़ता है।
प्रशासनिक उपेक्षा और अव्यवस्था का यह बड़ा उदाहरण है
बागमती नदी की धारा में निर्मित इस अवैध पीपा पुल को पार करने पर टैक्स देना यहां के लोगों की मजबूरी भी है। पत्रकार हो या कोई अधिकारी बताना पड़ता है। इन्हें समझाना पड़ता किस काम से जा रहे हैं। आईकार्ड मांगते हैं। फिर भी संतुष्टि नहीं मिलीं तो पैसा दीजिए। ये मनमानी है। नहीं तो कहेंगे तुम जाम लगवा रहे हो?
बरसात में इस मार्ग से आवागमन के लिए नाव का ही सहारा
जानकारी के अनुसार, कटरा से बकुची मार्ग की दूरी महज एक किमी है। बरसात में इस मार्ग से आवागमन के लिए नाव का ही सहारा होता है। चारपहिया वाले चाहकर भी इसे पार नहीं कर पाते। प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए मुख्य मार्ग होने के कारण सैकड़ों लोगों की आवाजाही को लेकर होने वाली परेशानी पर विभाग की उपेक्षा ने स्थानीय लोगों को मौका दे दिया।
कुछ लोगों ने मिलकर यहां अपने स्तर से पीपा पुल बना दिया
कुछ लोगों ने मिलकर यहां अपने स्तर से पीपा पुल बना दिया। इसके लिए जल संसाधन विभाग, पथ निर्माण विभाग या प्रशासन से स्वीकृति भी नहीं ली। अब प्रतिदिन हजारों रुपये की वसूली इससे की जा रही है।
दिलचस्प है ये पीपा पुल का अंकगणित
कटरा प्रखंड मुख्यालय का मुख्य मार्ग होने के कारण इस पीपा पुल से प्रतिदिन करीब 500 पैदल लोगों की आवाजाही होती है। इसके अलावा सौ से डेढ़ सौ दोपहिया और 40 से 50 छोटा चारपहिया वाहन इस पुल से गुजरता है। इस तरह प्रतिदिन करीब 10 रुपये टैक्स के रूप लोगों को देना पड़ता है। इस हिसाब से यह आंकड़ा तीन लाख रुपये प्रतिमाह हो जाता है।
विभाग का दावा, सरकारी पुल बनने से बंद हो जाएगी मनमानी
इस मामले में आरसीडी-दो के कार्यपालक अभियंता का कहना है कि सरकारी पीपा और पीसीसी पुल बन जाने के बाद यह मनमानी खत्म हो जाएगी। लोगों की सुविधा को देखते हुए अवैध होने के बाद भी रोक लगाने में परेशानी आ रही।