पटना न्यूज़: पटना में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का आवास अचानक विवादों के केंद्र में आ गया है। सरकार के एक फैसले ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को इस कदर नाराज किया है कि उसने इसे लालू परिवार के प्रति दुर्भावना करार दिया है। क्या है पूरा मामला और क्यों मचा है इस पर संग्राम?
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने बुधवार को स्पष्ट किया कि पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी अपना मौजूदा सरकारी आवास खाली नहीं करेंगी। राबड़ी देवी पिछले दो दशकों से 10, सर्कुलर रोड स्थित इस बंगले में रह रही हैं। RJD के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने इस संबंध में मीडिया से बात करते हुए सरकार के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
दरअसल, यह पूरा विवाद बिहार के भवन निर्माण विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना के बाद शुरू हुआ है। इस अधिसूचना में राबड़ी देवी को 39, हार्डिंग रोड स्थित आवास में स्थानांतरित होने का निर्देश दिया गया है, जिसे अब विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के सरकारी आवास के रूप में ‘चिह्नित’ किया गया है। यह नया आवंटित आवास मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आधिकारिक निवास, 1, अणे मार्ग, के ठीक सामने स्थित है।
क्यों गरमाया सियासी माहौल?
मंगनी लाल मंडल ने दो टूक कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आधिकारिक आवास के ठीक सामने स्थित 10, सर्कुलर रोड का बंगला “किसी भी सूरत में खाली नहीं किया जाएगा।” उन्होंने सरकार के इस कदम को सत्तारूढ़ एनडीए द्वारा उनके नेता लालू प्रसाद के प्रति “दुर्भावना” का प्रतीक बताया। मंडल ने सवाल उठाया, “मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आखिर दो दशक बाद विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष के लिए सरकारी आवास चिह्नित करने का फैसला क्यों लिया?”
उन्होंने आगे पूछा कि यदि यह निर्णय इतना ही आवश्यक था, तो सरकार ने 10, सर्कुलर रोड को ही नेता प्रतिपक्ष के आवास के रूप में क्यों नहीं चिह्नित किया? मंडल ने सरकार को याद दिलाया कि इस आवास के निवासी लालू प्रसाद और राबड़ी देवी, दोनों ही बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनका एक गरिमामय स्थान है।
सरकार का क्या है पक्ष?
इस पूरे विवाद पर राज्य सरकार का भी पक्ष सामने आया है। राज्य के मंत्री संतोष कुमार सुमन ने बताया कि राबड़ी देवी को यह बंगला पूर्व में उस प्रावधान के तहत आवंटित किया गया था, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को “आजीवन” सरकारी आवास का अधिकार दिया गया था। हालांकि, सुमन ने स्पष्ट किया कि “कुछ वर्ष पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद उस प्रावधान को समाप्त करना पड़ा।”
मंत्री संतोष कुमार सुमन ने यह भी कहा, “किसी भी स्थिति में, हम राबड़ी देवी को आवास से वंचित नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा, सरकार के पास यह अधिकार है कि कौन-सा सरकारी आवास किसे आवंटित किया जाए।” उनका कहना था कि सरकार अपने नियमों और अधिकारों के तहत ही कार्य कर रही है।
भाजपा को खुश करने का आरोप
RJD प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने इस फैसले के पीछे राजनीतिक मंशा का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार ने यह निर्णय भाजपा को खुश करने के लिए लिया है।” मंडल ने दावा किया कि जनता दल यूनाइटेड (JDU) प्रमुख अपने गठबंधन सहयोगी, भाजपा, की आक्रामकता से विचलित हो गए हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि इसी दबाव के चलते नीतीश कुमार को अपना “प्रिय गृह विभाग” भी छोड़ना पड़ा।
मंडल ने आगे आरोप लगाया कि “भाजपा की लालू जी के प्रति दुर्भावना को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके साथियों को खुश करने के लिए हमारे नेता का ‘अपमान’ किया है।” उन्होंने सत्तारूढ़ राजग को चेतावनी दी कि वे RJD को कमतर आंकने की कोशिश न करें।
चुनाव परिणामों पर RJD का तर्क
मंडल ने हालिया विधानसभा चुनाव में RJD के प्रदर्शन पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “सत्तारूढ़ राजग यह याद रखे कि हम भले विपक्ष में हैं, लेकिन हालिया विधानसभा चुनाव में हमें उसके किसी भी घटक दल से अधिक वोट मिले।” उन्होंने निर्वाचन आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया:
- RJD को एक करोड़ से अधिक वोट मिले।
- राजग के सबसे बड़े घटक दल भाजपा को 90 लाख से कम वोट मिले।
चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की समीक्षा से जुड़ी बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में मंडल ने दावा किया, “हम चुनाव नहीं हारे हैं। सिस्टम हमारे खिलाफ काम कर रहा था। हमें खुद को विजेता मानना चाहिए, हारने वाला नहीं।” हालांकि, हालिया चुनाव में पार्टी की सीटें घटकर 25 रह गई हैं, जबकि पिछले चुनाव में RJD ने 75 सीटें जीती थीं।







