बिहार कांग्रेस के भीतर इन दिनों सब ठीक नहीं चल रहा है. हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद बुलाई गई समीक्षा बैठक रणक्षेत्र में तब्दील हो गई. इस दौरान न सिर्फ गाली-गलौज हुई, बल्कि हालात यहां तक बिगड़ गए कि बात गोली मारने की धमकी तक पहुंच गई. सवाल यह है कि आखिर पार्टी के भीतर यह घमासान क्यों मचा और इसका जिम्मेदार कौन है?
Bihar Congress: समीक्षा बैठक में ‘महाभारत’
हाल ही में बिहार में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को निराशाजनक प्रदर्शन का सामना करना पड़ा. इसी हार के कारणों की पड़ताल करने और आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श करने के लिए पार्टी ने एक समीक्षा बैठक बुलाई थी. लेकिन यह बैठक शांतिपूर्ण विचार-विमर्श से कहीं ज़्यादा एक अखाड़े में बदल गई. सूत्रों के अनुसार, बैठक में हार के कारणों को लेकर तीखी बहस हुई, जिसमें कई नेताओं ने एक-दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए. स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि जुबानी जंग गाली-गलौज तक पहुंच गई, और एक चौंकाने वाले मोड़ पर, कुछ नेताओं के बीच गोली मारने की धमकी तक दे दी गई.
बैठक के भीतर का माहौल बेहद अराजक बताया जा रहा है, जहां पार्टी के वरिष्ठ नेता भी स्थिति को नियंत्रित करने में असमर्थ दिखे. इस घटनाक्रम ने बिहार कांग्रेस की आंतरिक कलह को एक बार फिर सबके सामने ला दिया है और पार्टी के भीतर गुटबाजी की गहराई को उजागर किया है.
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Bihar Congress: हार की ‘चोरी’ का आरोप
बैठक में हुए हंगामे के बीच, पार्टी के आधिकारिक बयान में हार के पीछे एक बड़ा कारण ‘वोटों की चोरी’ बताया गया है. कांग्रेस पार्टी का मानना है कि उन्हें अपेक्षित वोट मिले थे, लेकिन किसी तरह चुनावी प्रक्रिया में धांधली करके उनके वोटों को चुरा लिया गया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें हार का सामना करना पड़ा. पार्टी ने इस दावे के पीछे कोई ठोस सबूत या विस्तृत जानकारी तुरंत साझा नहीं की, लेकिन यह आरोप समीक्षा बैठक में हुए तनाव का एक मुख्य बिंदु था.
यह आरोप ऐसे समय में आया है जब पार्टी पहले से ही अपने चुनावी प्रदर्शन को लेकर अंदरूनी दबाव का सामना कर रही है. ‘वोट चोरी’ का आरोप एक गंभीर दावा है जो चुनाव आयोग और संबंधित अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाता है.
Bihar Congress: पार्टी पर उठे सवाल
समीक्षा बैठक में हुए इस नाटकीय घटनाक्रम ने न सिर्फ बिहार कांग्रेस बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी के नेतृत्व और संगठनात्मक ढांचे पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक तरफ जहां हार के कारणों की निष्पक्ष समीक्षा होनी चाहिए थी, वहीं दूसरी ओर गाली-गलौज और जान से मारने की धमकियों ने पार्टी की छवि को और नुकसान पहुंचाया है. अब देखना यह होगा कि कांग्रेस आलाकमान इस आंतरिक कलह को सुलझाने और बिहार में पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाता है.







