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20 मई, 2024
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शिक्षा विभाग का मेगा एक्शन, सीतामढ़ी के DEO और दरभंगा के पूर्व DTO की पेंशन पर आजीवन रोक, पढ़िए बड़ी खबर

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Sitamarhi | बिहार शिक्षा विभाग ने भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त दो वरिष्ठ अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की है। सीतामढ़ी के पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) संजय प्रसाद देव और दरभंगा के पूर्व डीपीओ (जिला कार्यक्रम अधिकारी) पर लगे आरोपों के चलते उनकी आजन्म पेंशन रोक दी गई है।

 

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पहला मामला: सीतामढ़ी के पूर्व डीईओ संजय प्रसाद देव

  • पद और घूस मामला:
    16 मार्च 2023 को, संजय प्रसाद देव को 50,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए निगरानी विभाग की टीम ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया। यह घटना सीतामढ़ी में हुई, जब वह डीईओ के पद पर कार्यरत थे।
  • कार्रवाई और परिणाम:
    • गिरफ्तारी के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया।
    • 31 जनवरी 2024 को सेवानिवृत्ति के बाद, उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई।
    • बिहार पेंशन नियमावली के तहत, जांच में आरोप पूर्णतः प्रमाणित पाए गए।
    • शिक्षा विभाग ने 17 जनवरी 2025 को उनका 100% पेंशन रोकने का आदेश जारी किया।
    • इस निर्णय को बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने भी अनुमोदित किया।

दूसरा मामला: बेतिया के डीईओ रजनीकांत प्रवीण

  • आय से अधिक संपत्ति:
    बेतिया के जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) रजनीकांत प्रवीण पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में निगरानी विभाग ने छापेमारी की।

    • उनके घर और अन्य संपत्तियों से भारी मात्रा में नकदी, जमीन के कागजात, और बैंक खातों से जुड़े दस्तावेज जब्त किए गए।
    • इसके बाद विभाग ने उन्हें निलंबित कर दिया।

दरभंगा के पूर्व डीपीओ का भ्रष्टाचार में संलिप्तता

  • दरभंगा से प्रमोशन:
    संजय प्रसाद देव पहले दरभंगा के डीपीओ के पद पर तैनात थे। यहां से उन्हें प्रमोशन देकर सीतामढ़ी का डीईओ बनाया गया।
  • घूस और गिरफ्तारी:
    प्रमोशन के तुरंत बाद, डीईओ का प्रभार लेते ही अगले दिन उन्हें रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया गया।

शिक्षा विभाग का बयान

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि किसी भी भ्रष्ट अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। निदेशक सुबोध कुमार चौधरी के नेतृत्व में, अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि बिहार पेंशन नियमावली के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी।


भ्रष्टाचार से जुड़े अधिकारीयों में हड़कंप

इन कड़े कदमों ने शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारियों में हड़कंप मचा दिया है।

  • बिहार में यह मामला भ्रष्टाचार पर रोक लगाने और जिम्मेदार प्रशासन स्थापित करने की दिशा में एक मजबूत संदेश देता है।
  • यह घटना राज्य में शिक्षा व्यवस्था को साफ और जवाबदेह बनाने की एक बड़ी कोशिश के रूप में देखी जा रही है।

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