पटना का ऐतिहासिक गोलघर जल्द ही राजधानी वासियों के साथ-साथ सैलानियों के लिए भी खोल दिया जाएगा।
ऐतिहासिक गोलघर में आने वाले पर्यटक जल्द ही घुमावदार सीढ़ियों पर चढ़कर पटना के नजारे देख सकेंगे। अंग्रेजों के जमाने के बने अन्न भंडार यानि गोलघर के जीर्णोद्धार और संरक्षण का काम इस महीने के अंत तक पूरा होने की संभावना है।
वही गोलघर का टिकट लेकर आज भी लोग प्रवेश तो कर रहे हैं लेकिन पार्क में बैठकर आनंद लेते हैं। हालांकि अब गोलघर पर चढ़ने का मौका भी पर्यटकों को मिलेगा। राज्य के विभिन्न जिलों से राजधानी पहुंचने वाले लोगों के मन में रहता है कि पटना जाएंगे तो गोलघर घूमेंगे और चढ़ेंगे। अब लोग आसानी से गोलघर पर चढ़कर नजारा ले सकेंगे।
पिछले छह सालों से लोग गोलघर पर नहीं चढ़ पा रहे थे लेकिन वह दिन दूर नहीं, जब लोग एक बार फिर से गोलघर के घुमावदार सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर पूरे पटना का नजारा देखेंगे।
गोलघर के रेनोवेशन और पुनर्निर्माण का काम चल रहा था जिसे पूरा कर लिया गया है। अब इस महीने के अंत तक इसे लोगों के लिए खोल दिया जाएगा।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने संरक्षण का काम शुरू किया था। गोलघर के दोनों ओर (पूर्व और पश्चिम) सीढ़ियों की मरम्मत में अपने विशेषज्ञों को लगाया है।
साथ ही राज्य पुरातत्व निदेशालय ऐतिहासिक ढांचे के अंदर ‘लाइट एंड साउंड’ शो को फिर से शुरू करने के लिए भी काम कर रहा है। इसके लिए मार्च के मध्य तक बहाली और नवीनीकरण का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था।
कला संस्कृति विभाग की सचिव वंदना प्रेयषि काम का जायजा लेने पहुंची थी। जहां उन्होंने कुछ और दिशा निर्देश दिए हैं। और जल्द से जल्द पूरा करने को भी कहा है।
साल 2017 में कला संस्कृति विभाग के द्वारा इसके रेनोवेशन कार्य को लेकर आम लोगों के लिए इस पर चढ़ने के लिए रोक लगा दी गई थी। लगभग 96 लाख के खर्च के बाद इसे पूरी तरीके से ठीक कर दिया गया है।
और कला संस्कृति मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि बहुत जल्द गोलघर पर चढ़ कर लोगों को राजधानी देखने का मौका मिलेगा। अधिकारियों का अभी कहना है कि पिछले कोरोना संक्रमण काल के कारण लेजर शो को बंद कर दिया गया था लेकिन अब गोलघर के साथ-साथ लोगों को लेजर शो का आनंद भी मिलेगा।
लाइट लगाने का भी काम दो दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद रात्रि में गोलघर सतरंगी लाइटों से चमक उठेगा जिसे देखकर लोगों में काफी खुशी का महौल रहेगा। वहीं कुछ प्रेमी जोड़े ऐतिहासिक गोलघर की दीवाल पर अपने प्यार का इजहार भी करते नजर आते हैं। जिससे दीवाल पूरी तरह गंदा हो जाता है।
इसे लेकर अभी रंगाई नहीं कि गई है। गोलघर की टोटल 142 सीढ़िया है और इसे 1770 में जब अकाल पड़ा था तो उस समय अनाज के भंडारण के लिए बनाने का निर्णय लिया गया था।
1786 में गोलघर बनकर तैयार हुआ था, जहां पर अनाज का भंडारण किया जाता था। गोलघर को लोग जरूर आज दूर से देख रहे हैं लेकिन अब फिर से सीढ़ियों से चढ़ कर शहर का नजारा देखने को मिलेगा।