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14 अगस्त, 2024
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आनंद मोहन की रिहाई में Supreme पेंच, बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट से नोटिस

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आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बिहार सरकार को नोटिस भेजा है। इस पर कोर्ट ने 2 हफ्ते में जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका के सुनवाई के दौरान (Supreme Court notice to Bihar government, issue of release of Anand Mohan) दी है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही पूर्व सांसद आनंद मोहन को भी नोटिस दिया गया है। दिवंगत आईएएस जी. कृष्णैया की पत्नी उमा देवी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Notice Bihar Govt) ने ये आदेश दिया।

जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने बिहार सरकार से रिहाई से जुड़ा रिकार्ड दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की ओर से पेश वकील सिद्धार्थ लूथरा और तान्या श्री ने आनंद मोहन की रिहाई को रद्द करके उसे फिर से जेल भेजे जाने की मांग की।

उन्होंने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई के लिए उसके जेल में व्यवहार को तो ध्यान में रखा गया, लेकिन दोषी के पूर्व इतिहास को नजरअंदाज किया गया। ऐसा करना लोकहित के खिलाफ है। बिहार सरकार का ये कदम लोकसेवकों को मनोबल तोड़ने वाला है।

याचिका में कहा गया है कि गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की 5 दिसंबर, 1994 को हुई हत्या मामले में दोषी आनंद मोहन की रिहाई हाल ही में बिहार सरकार के जेल नियमों में किये गये संशोधन के चलते संभव हो पाई है। आनंद मोहन की रिहाई सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के विपरीत है। आनंद मोहन की रिहाई का फैसला गलत तथ्यों के आधार पर लिया गया है।

दरअसल, आईएएस अफसर जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन की रिहाई के फैसले का उमा देवी ने विरोध किया था। उन्होंने नीतीश कुमार सरकार के जेल मैनुअल में बदलाव किए जाने पर भी सवाल खड़े किए थे।

अपनी बहस के दौरान याचिकाकर्ता दिवंगत जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की तरफ से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण मामला है। इसके बाद खंडपीठ ने कहा कि नोटिस जारी करें।

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के दोषी आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए आज बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी किया।

जी. कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपनी याचिका को लेकर कहा था कि मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा है। दरअसल, बीते 10 अप्रैल को ही नीतीश कुमार सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव किया था।

इसके बाद आनंद मोहन की जेल से रिहाई का रास्ता साफ हुआ। 26 अप्रैल को पूर्व सांसद जेल से रिहा भी हो गए। इसी के बाद उमा देवी सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं। उनकी याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई जिसमें आनंद मोहन और नीतीश सरकार को नोटिस जारी किया गया।

याचिकाकर्ता और जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की ओर से पेश वकील सिद्धार्थ लूथरा और तान्या श्री ने आनंद मोहन की रिहाई को रद्द कर उसे फिर से जेल भेजे जाने की मांग की।

उन्होंने कहा कि आनंद मोहन का जेल में व्यवहार को अवश्य ध्यान में रखा गया, लेकिन दोषी के पूर्व के इतिहास को नजरअंदाज किया गया। ऐसा करना लोकहित के खिलाफ है। बिहार सरकार का यह कदम लोकसेवकों के मनोबल को तोड़ने वाला है।

हाल ही में बिहार सरकार की ओर से जेल नियमों में किये गये संशोधन के चलते यह रिहाई संभव हो पाई है। याचिका में कहा गया है कि आनंद मोहन की रिहाई सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसलों के विपरीत है। आनंद मोहन की रिहाई का फैसला गलत तथ्यों के आधार पर लिया गया है। उल्लेखनीय है कि जी कृष्णैया की 5 दिसंबर 1994 को एक भीड़ ने हत्या कर दी थी।

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