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23 दिसम्बर, 2024
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425 वर्ष पूर्व कलबलिया धार और तेतरी दुर्गा का आना…दिलचस्प है कहानी

कैसे पहुंचेंगे मंदिर तक, नवगछिया एनएच इकतीस से एक किलोमीटर दूर तेतरी गांव, यही विराजती हैं मां तेतरी

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मुख्य बातें: चार सौ पचीस साल पुरानी तेतरी दुर्गा मंदिर की दिलचस्प है कहानी, जानें क्या है मान्यता?, बिहार में कई खास दुर्गा मंदिर है जिसका अनोखा और पौराणिक इतिहास रहा है ऐसा ही है भागलपुर के नवगछिया का तेतरी दुर्गा मंदिर

नवगछिया, देशज टाइम्स ब्यूरो। एनएच इकतीस से एक किलोमीटर दूर तेतरी गांव में भव्य दुर्गा मंदिर है। मन्दिर की भव्यता देखते ही बनती है। बिहार झारखंड में सबसे शक्तिशाली मन्दिर के रूप में तेतरी दुर्गा मंदिर जाना जाता है।

इस मंदिर का इतिहास चार सौ पचीस साल पुराना है। बताया जाता है कि चार सौ पचीस वर्ष पूर्व पास के कलबलिया धार में खरीक के काजीकोरैया से मेढ़ बहकर आया था। तेतरी के लोगों के सपने में मां दुर्गा आयी थी। और मेढ़ की जानकारी दी। और कहा उसपर प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद लोग कलबलिया धार पहुंचे थे। और, मेढ़ को लाया। कुछ ही देर में काजीकोरैया के लोग मेढ़ ले जाने आये तो मेढ़ टस से मस नहीं हुआ।

तेतरी के लोगों ने समीप में ही मेढ़ स्थापित किया था। स्थापना के वर्षों बाद यहां मन्दिर का निर्माण हुआ। सबसे खास बात यह कि यहां दुर्गा मां वैष्णवी रूप में है। यहां जीव के बलि के बदले कोढ़ा की बलि पड़ती है। दुर्गा पूजा के समय मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है।

विजयादशमी को काफी भव्य तरीके से प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन के समय श्रद्धालुओं की संख्या लाख से ऊपर पहुंच जातीं है। इस मंदिर में बिहार झारखंड के कई जिलों के लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। अन्य दिनों में भी श्रद्धालु तेतरी दुर्गा मंदिर आकर हाजिरी लगाते हैं।

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