मुजफ्फरपुर, देशज डिजिटल डेस्क। जिले में हर जदिन कोरोना संक्रमण नया रिकॉर्ड स्थापित कर रहा है।जिले के स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। जिले के सदर अस्पताल में शुक्रवार को एक दंपत्ति कोरोना जांच कराने पहुंचा।
लंबी लाइन थी,जिसको देखकर दोनों पति-पत्नी अपनी बारी का इंतजार करने लगे और अस्पताल में बनाए गए प्रतीक्षालय में बैठ गए। इसी दौरान भगवान को कुछ और मंजूर था कुर्सी पर बैठे-बैठे अचानक व्यक्ति फर्श पर गिरा और महिला आसपास के लोगों से मदद के लिए चिल्लाने लगे लेकिन किसी ने भी जुर्रत नहीं की चाहे वह अस्पताल का कर्मचारी हो या फिर आमलोग।जब मेडिकल की टीम पहुंची तो फर्श पर गिरा व्यक्ति मर चुका था।
मरने की खबर सुनते ही महिला पर मानो दुख का पहाड़ ही टूट पड़ा । महिला रोने और तड़पने लगी और अपने पति के मौत का जिम्मेदार बिहार की लाचार बेबस स्वास्थ्य सिस्टम को दे रही है। करीब एक घंटे तक यूं ही फर्श पर डेड बॉडी पड़ी रही। उसकी पत्नी अस्पताल कर्मियों से और आम लोगों से भी मिन्नतें मांगती रही। कोई मदद करें लेकिन किसी का भी दिल नहीं पिघला।
इसकी सूचना जब सिविल सर्जन डॉ सुरेंद्र कुमार चौधरी को दी गई तो डॉ. चौधरी ने सदर अस्पताल के प्रबंधक प्रवीण कुमार को करें लहजे में फटकार लगाते हुए कहा कि कोविड-19 प्रोटोकॉल का खयाल रखते हुए यथाशीघ्र डेड बॉडी को हटाना सुनिश्चित करें। तब जाकर अस्पताल प्रबंधक ने एंबुलेंस से उनकी पत्नी के साथ डेड बॉडी को मेडिकल कॉलेज भेज दिया ।
पूरे मामले पर सिविल सर्जन डॉक्टर चौधरी ने कहा कि सूचना मिलने के बाद ही डेड बॉडी को प्रोटोकॉल का ख्याल रखते हुए हटाने का निर्देश दिया गया था। लेकिन थोड़ा विलंब हुआ है।विलंब का क्या कुछ कारण था देर कैसे हो गई वह भी इस महामारी के समय इस पूरे मामले की गहन जांच होगी और दोषी कोई भी हो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी ।