

पटना। उत्तर प्रदेश के बाद बिहार में अब वायरल बुखार कई जिलों में बच्चों और युवाओं को चपेट में ले रहा है। उप्र. में इस बीमारी ने सैकड़ों बच्चों के साथ युवाओं की जान ली है। बिहार के कई जिलों में भी यह बीमारी तेजी से पांव पसारना शुरू कर दिया है। इसकी वजह से स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है।
बिहार के पटना, छपरा, गोपालगंज, केमूर, पूर्वी चम्पारण और पश्चिमी चम्पारण समेत कई जिलों में इसका असर सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। राज्य के कई जिलों से मरीज पटना के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं।
बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में भी वायरल फीवर से पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पीएमसीएच के अंदर और बाहर वायरल फीवर से ग्रसित बच्चों की संख्या हर घंटे बढ़ती ही जा रही है।
पटना एम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ सी एम सिंह ने बताया कि अभी बच्चों में निमोनिया, बुखार, खांसी-सर्दी के लक्षण अमूमन देखे जाते हैं। पटना एम्स में वायरल फीवर से किसी भी बच्चे की मौत नहीं हुई है और न ही इस तरह की सूचना है कि वायरल फीवर से कोई ग्रसित बच्चा पटना एम्स में भर्ती है।
पीएमसीएच, एनएमसीएच, आईजीआईएमएस और एम्स में भी बच्चों के लिए मौजूद बेड फुल होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। इसको लेकर बिहार के कई जिलों में स्वास्थ्यकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।
बीते दिनों गोपालगंज में चमकी बुखार के लक्षण वाले एक बच्चे की मौत के बाद मेडिकल कर्मियों और डॉक्टरों की छुट्टियां रद्द कर दी गई थीं। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो बिहार सरकार इस पूरी स्थिति को लेकर अलर्ट मोड में आ चुकी है।
बिहार के कई जिलों से भी पिछले चार-पांच दिनों के अंदर वायरल बुखार की वजह से कई बच्चों की मौत की खबर आ रही है। कई-कई गांवों में दर्जनों बच्चे की बीमार होने की खबर है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा मेडिकल टीम गांवों में दौरा कर रही है। लोगों का कहना है कि कोरोना के डर से चिंता और बढ़ गई है। बच्चों को बुखार के दौरान सांस लेने में भी तकलीफ होने से लोगों के मन में और डर सता रहा है और इसी डर से परिजन बच्चों को बड़े-बड़े अस्पतालों में लेकर पहुंच रहे हैं।
पटना के एनएमसीएच में बुधवार तक करीब 100 मरीज पिछले दो-तीन दिनों में ही भर्ती हुए हैं।डॉक्टरों की मानें तो बच्चों में इस मौसम में मानसून से संबंधित बीमारियां होती हैं, जिससे अस्पतालों में भीड़ बढ़ने लगी है। एम्स पटना को छोड़ कर पटना के प्रमुख अस्पताल पीएमसीएच, आईजीआईएमएस, एनएमसीएच की बाल चिकित्सा गहन देखभाल इकाइयों (पीआईसीयू) और नवजात गहन देखभाल इकाइयों (एनआईसीयू) में बेड की कमी देखने को मिल रही है।
उल्लेखनीय है कि एम्स पटना में तकरीबन हर रोज तीन हजार मरीज ओपीडी में दिखाने आते हैं। यहां पर बच्चों के लिए दो वार्ड हैं, जिसमें 82 बेड्स हैं। इसमें से 60 बेड और 22 आईसीयू बेड्स हैं। इस वक्त पटना एम्स में बच्चों के 80 प्रतिशत बेड्स भरे हुए हैं। सिर्फ 20 प्रतिशत बेड्स ही खाली हैं। ऐसा नहीं है कि यह वायरल फीवर की वजह से ही हुआ है।








