नौ महीनें बाद खुली हवा में लोगों के अथाह प्यार और उमड़ी भीड़ के गवाह बनें यूट्यूबर मनीष कश्यप जब नौ महीनें बाद जेल से यूट्यूबर मनीष कश्यप रिहा हुए। उन्हें देखने के लिए बेउर जेल के बहार भारी संख्या में समर्थकों की (YouTuber Manish Kashyap released after 9 months) भीड़ देखने को मिल रहा है।
जेल से बाहर आते ही मनीष के समर्थकों ने माला पहनाई। कंधे पर बिठाया। आरती भी उतारी। इसके बाद ओपन जीप से मनीष का काफिला बेउर जेल से निकला। इस दौरान जगह-जगह समर्थकों ने स्वागत किया।
समर्थकों की भीड़ देख मनीष कश्यप ने कहा कि ये वो लोग हैं जिन्हें उम्मीद है कि बिहार बदलेगा। मनीष ने कहा कि मैं जेल में काला पानी की सजा काटकर आया हूं। पत्रकारिता करता रहूंगा। अगर मैं डरा तो ये समझेंगे कि हमने एक पत्रकार को डरा दिया। रिहाई के दौरान बेउर जेल के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था।
बेउर जेल से निकले के बाद मनीष कश्यप पटना के महावीर मंदिर में दर्शन करने जा रहे हैं। उनके साथ समर्थकों की भारी भीड़ भी पीछे-पीछे चल रही है। जेल से निकलते ही मनीष कश्यप ने कहा कि उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया था।
9 महीने तक जेल में बंद रहे मनीष कश्यप
जानकारी के अनुसार, 9 महीने पहले मनीष कश्यप ने तमिलनाडु के मजदूरों के फर्जी वीडियो वायरल करने के केस में सरेंडर किया था। तब से वो जेल में था। मनीष कश्यप को शुक्रवार को ही जमानत मिल चुकी थी, लेकिन इसके बाद भी वो बेऊर जेल से रिहा नहीं हो सका। कागजात में नाम में गड़बड़ी के कारण रिहाई नहीं हो पाई। कोर्ट से जो कागजात भेजे गए थे, उसमें नाम में अंतर पाया गया है। इस कारण बेऊर जेल प्रशासन ने उसे रिहा नहीं किया।
मनीष कश्यप का असली नाम त्रिपुरारी तिवारी है। जबकि रिहाई के कागजात पर त्रिपुरारी कुमार लिख दिया गया था। इस कारण संशोधन के लिए कागजात वापस कोर्ट भेज दिए गए। उसकी रिहाई नहीं पाई। इधर जेल के बाहर मनीष के समर्थक देर रात तक उनका इंतजार करते रह गए।
मनीष 9 माह से अधिक वक्त से जेल में बंद थे। फेक वीडियो के मामले में मनीष ने 18 मार्च 2023 को सरेंडर किया था। उसके बाद उसे तमिलनाडु पुलिस ने रिमांड पर ले लिया था। 30 मार्च को ट्रांजिट रिमांड पर तमिलनाडु पुलिस अपने साथ ले गई थी।
शनिवार सुबह मनीष के वकील बेतिया से कोर्ट का बेल ऑर्डर लेकर बेउर जेल पहुंचे हैं। जिस नाम को लेकर बेउर जेल प्रशासन ने आपत्ति जताई गई थी। उसे डॉक्यमेंट्स में सही कराकर दिया गया। इसके बाद बेउर जेल से मनीष को छोड़ा गया। तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों के साथ मारपीट का फर्जी वीडियो शेयर करने को लेकर यूट्यूबर मनीष कश्यप की मुश्किलें बढ़ी थी। इस मामले में बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने मनीष कश्यप के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था।
जब इस केस में छापेमारी शुरू हुई तो डर से मनीष कश्यप बिहार छोड़कर फरार हो गया था। उसकी तलाश में कई जगहों पर छापेमारी हुई थी। बेतिया पुलिस ने 18 मार्च को दूसरे केस में मनीष के घर की कुर्की जब्ती शुरू की तो उसी दिन स्थानीय थाने में सरेंडर किया। उसी दिन पटना से गई इओयू की टीम ने उसे अपने केस में कब्जे में लिया था।
रिमांड पर लेकर उससे पूछताछ की और जेल भेज दिया था। पुलिस मनीष कश्यप के सरेंडर करने के तुरंत बाद तमिलनाडु पुलिस की टीम पटना पहुंची थी। 30 मार्च को ट्रांजिट रिमांड पर तमिलनाडु पुलिस अपने साथ ले गई थी। हालांकि अगस्त में उसे वापस पटना लाया गया। फिर बेतिया कोर्ट ने मनीष को बिहार के जेल में ही रखने का आदेश दिया था।
हालांकि अगस्त में उन्हें वापस पटना लाया गया। जिसके बाद बेतिया कोर्ट ने मनीष को बिहार की जेल में ही रखने के आदेश दिया। तब से मनीष कश्यप बेऊर जेल में बंद थे। उनपर NSA भी लगाया गया था। 20 दिसंबर को पटना हाईकोर्ट ने मनीष को जमानत दे दी। जिसके बाद सारी कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद आज उन्हें रिहाई मिल गई है।