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दिसम्बर, 26, 2025

दिल्ली की हवा में ज़हर: क्या Air Pollution से निपटने में बीजिंग मॉडल काम आएगा?

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Air Pollution: देश की राजधानी दिल्ली पिछले तीन महीनों से गंभीर स्मॉग और वायु प्रदूषण की चपेट में है, जिसने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की 5 करोड़ से ज़्यादा आबादी के जीवन को प्रभावित किया है। एक ऐसा संकट जो सिर्फ दिल्ली की सांसों को ही नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी घोंट रहा है। इस गंभीर चुनौती के बीच, यह सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या भारत, खासकर दिल्ली, कभी बीजिंग की राह पर चलकर इस पर्यावरणीय युद्ध को जीत पाएगा, जिसने एक दशक पहले अपने ‘स्मॉग कैपिटल’ के तमगे को उतार फेंका था?

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दिल्ली की हवा में ज़हर: क्या Air Pollution से निपटने में बीजिंग मॉडल काम आएगा?

भारत में Air Pollution का आर्थिक असर और समाधान की चुनौतियाँ

दिल्ली में कई बार AQI 500 के पार पहुँच चुका है, जिससे आम जनजीवन अस्त-व्यस्त है और स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव है। यह समस्या अब सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के अन्य बड़े शहरों को भी अपनी चपेट में ले रही है।

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एक दशक पहले, 2013 में, चीन की राजधानी बीजिंग को ‘स्मॉग कैपिटल’ कहा जाता था, जहाँ AQI एक समय 755 तक पहुँच गया था। चीनी सरकार ने एक महत्वाकांक्षी 5-वर्षीय वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना लागू की, जिसके परिणामस्वरूप स्थिति में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। उनकी रणनीति में औद्योगिक उत्सर्जन पर कड़ा नियंत्रण, कोयले के उपयोग में कमी और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना शामिल था।

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भारत में वायु प्रदूषण का सीधा और अप्रत्यक्ष तौर पर अर्थव्यवस्था पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उद्योगों और फ़ैक्टरियों को बंद करना पड़ता है, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट आती है। इसके अलावा, कर्मचारियों की उत्पादकता घट जाती है और स्वास्थ्य संबंधी लागतें बढ़ जाती हैं। विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत को हर साल अपनी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 3% वायु प्रदूषण के कारण खोना पड़ रहा है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह नुकसान केवल वित्तीय आंकड़ों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि देश के विकास के पथ पर भी रोड़ा बन रहा है। रियल-टाइम बिजनेस – टेक्नोलॉजी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

बीजिंग से सीख और दिल्ली के लिए रास्ता

विशेषज्ञ यह विश्लेषण कर रहे हैं कि क्या दिल्ली, बीजिंग के सफल मॉडल को अपनाकर अपनी वायु गुणवत्ता में सुधार कर सकती है। बीजिंग ने अपने औद्योगिक ढांचे में बड़े बदलाव किए, सख्त उत्सर्जन मानक लागू किए और अपनी ऊर्जा खपत को स्वच्छ स्रोतों की ओर मोड़ा। दिल्ली को भी इसी तरह के कठोर और दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है।

2047 तक विकसित भारत बनने के सपने को साकार करने के लिए वायु प्रदूषण एक गंभीर खतरा है। इसे केवल एक मौसमी समस्या मानकर अनदेखा नहीं किया जा सकता, बल्कि इसके लिए एक राष्ट्रीय नीति और प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता है। शहरी नियोजन, सार्वजनिक परिवहन में सुधार, कृषि पराली जलाने पर नियंत्रण और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है। इस चुनौती से निपटना केवल पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि देश के आर्थिक स्वास्थ्य और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता के लिए भी महत्वपूर्ण है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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