नई दिल्ली: अमेरिकी टैरिफ की मार झेल रहे भारत के लिए एक चिंताजनक खबर आई है. पिछले कुछ महीनों में अमेरिका को होने वाले भारतीय निर्यात में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. क्या ये गिरावट अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार देगी?
अमेरिका के कड़े रुख से निर्यात को झटका
अमेरिकी टैरिफ नीतियों का भारत के निर्यात पर गहरा असर पड़ा है. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, मई से अक्टूबर 2025 के बीच अमेरिका को भारत का निर्यात 28.5% तक गिर गया है. यह गिरावट 8.83 बिलियन डॉलर से घटकर 6.31 बिलियन डॉलर पर आ गई है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका ने पहले अप्रैल में भारत पर 10% का बेसलाइन टैरिफ लगाया था, जिसे अगस्त में बढ़ाकर 25% कर दिया गया. वहीं, रूस से तेल की खरीद को लेकर भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ पेनाल्टी के तौर पर लगाया गया. इन बढ़ते टैरिफ ने भारतीय सामानों को अमेरिकी बाजारों में काफी महंगा बना दिया, जिसका सीधा असर निर्यात पर पड़ा.
स्मार्टफोन से लेकर टेक्सटाइल तक, सब पर असर
अमेरिका, भारत के लिए निर्यात का सबसे बड़ा बाज़ार रहा है, और इस टैरिफ नीति ने इस पर तगड़ा प्रहार किया है. GTRI की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन टैरिफ-फ्री प्रोडक्ट्स का भारत अमेरिका को बड़े पैमाने पर निर्यात करता था, उन पर भी इसका असर देखा गया.
- स्मार्टफोन: स्मार्टफोन निर्यात में 36% की गिरावट आई, जो मई में 2.29 बिलियन डॉलर से घटकर अक्टूबर में 1.50 बिलियन डॉलर रह गया.
- जेम्स और ज्वेलरी, टेक्सटाइल, गारमेंट्स, केमिकल्स और सीफूड्स: लेबर-इंटेंसिव माने जाने वाले इन उत्पादों का निर्यात मई से अक्टूबर के बीच 4.78 बिलियन डॉलर से 31.2% गिरकर 3.29 बिलियन डॉलर पर आ गया.
- मेटल और ऑटो पार्ट्स: टैरिफ का असर मेटल और ऑटो पार्ट्स के निर्यात पर भी पड़ा.
- आयरन, स्टील, एल्युमीनियम, कॉपर: इन धातुओं के एक्सपोर्ट्स में भी 23.8% की गिरावट दर्ज की गई.
GDP ग्रोथ ने चौंकाया, निर्यात के नए रास्ते
इन सबके बीच, दूसरी तिमाही में भारत के GDP ग्रोथ रेट का 8.2% रहा, जिसने सबको हैरान कर दिया. टैरिफ से हुए नुकसान के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की इस अप्रत्याशित तेजी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. अमेरिका के लिए निर्यात घटने से जहाँ कई इंडस्ट्रीज को नुकसान हुआ, वहीं भारत ने इससे उबरने के लिए निर्यात के नए विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है.
भारत ने हांगकांग, बेल्जियम और UAE जैसे बाजारों में जेम्स और ज्वेलरी का निर्यात बढ़ाया है. इसी तरह, जर्मनी और थाईलैंड से ऑटो पार्ट्स की मांग में भी वृद्धि देखी गई है.
GST सुधारों और घरेलू मांग का योगदान
देश की GDP ग्रोथ को सपोर्ट मिलने की एक और बड़ी वजह GST सुधारों को माना जा रहा है. इन सुधारों ने घरेलू स्तर पर मांग को बढ़ाया, जिसे पूरा करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी आई. सर्विस सेक्टर को भी मजबूती मिली, जिससे कुल मिलाकर देश की इकोनॉमी को बूस्ट मिला. यह दिखाता है कि भले ही बाहरी झटके लगे हों, लेकिन घरेलू सुधारों की बदौलत भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है.








