Pollution: दिल्ली की जानलेवा हवा अब सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य पर ही नहीं, बल्कि कॉर्पोरेट जगत के महत्वपूर्ण फैसलों पर भी असर डाल रही है। देश की राजधानी में बिगड़ते वायु गुणवत्ता के कारण अब पेशेवर भी यहां काम करने से कतरा रहे हैं, और इसी कड़ी में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है।
दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण के कारण एक बड़े कॉर्पोरेट अधिकारी का इस्तीफा: क्या है इस फैसले के मायने?
प्रदूषण: जब सेहत के आगे झुकना पड़ा कॉर्पोरेट पद
अकूम्स ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स (Akums Drugs & Pharmaceuticals) से जुड़ी एक बड़ी खबर ने कॉर्पोरेट गलियारों में हलचल मचा दी है। कंपनी के प्रेसिडेंट (फाइनेंस) राजकुमार बाफना ने दिल्ली में लगातार बिगड़ते प्रदूषण स्तर को अपने पद से इस्तीफा देने का कारण बताया है। यह घटना दर्शाती है कि राजधानी की जहरीली दिल्ली की हवा अब इस हद तक गंभीर हो चुकी है कि पेशेवर भी अपनी नौकरी छोड़ने को मजबूर हैं।
कंपनी द्वारा नियामकीय फाइलिंग में दी गई जानकारी के अनुसार, राजकुमार बाफना 31 दिसंबर, 2025 से अपने पद से मुक्त हो जाएंगे। उन्हें कंपनी में एक वरिष्ठ प्रबंधन व्यक्तिगत (Senior Management Personnel) के तौर पर नियुक्त किया गया था। उनका यह फैसला, दिल्ली में रहने और काम करने के स्वास्थ्य जोखिमों पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
बाफना ने अपने इस्तीफे पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा कि वे दिल्ली के लगातार बढ़ते प्रदूषण स्तर के कारण अपना पद छोड़ रहे हैं। उन्होंने मुख्य वित्तीय अधिकारी (Chief Financial Officer) सुमीत सूद को इस बारे में सूचित किया और जल्द से जल्द उन्हें इस पद से मुक्त करने का अनुरोध किया।
सुमीत सूद ने बाफना के इस्तीफे को स्वीकार करते हुए दुख व्यक्त किया। उन्होंने अपने जवाब में लिखा, “हमें आपके इस फैसले से दुख है। हालांकि, आपके स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को देखते हुए हम इसे अस्वीकार नहीं कर सकते।” यह घटना कॉर्पोरेट जगत के लिए एक वेक-अप कॉल है, जो दिखाता है कि पर्यावरण का असर अब सीधे व्यापारिक निर्णयों पर भी पड़ने लगा है। रियल-टाइम बिजनेस – टेक्नोलॉजी खबरों के लिए यहां क्लिक करें
दिल्ली में बिगड़ती वायु गुणवत्ता और जनजीवन पर असर
पिछले कुछ हफ्तों से दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर खतरनाक बना हुआ है। राजधानी की दिल्ली की हवा लगातार ‘बहुत खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणी में रह रही है। कई एयर मॉनिटरिंग स्टेशनों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 से अधिक दर्ज किया जा रहा है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। इस वजह से आम लोगों को सांस लेने में दिक्कत, आँखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विशेषकर अस्थमा और सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए स्थिति और भी विकट हो गई है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
शहर के कई इलाकों में घना कोहरा और स्मॉग का मिश्रण दिनभर छाया रहता है, जिससे विजिबिलिटी भी प्रभावित होती है। यह स्थिति न केवल निवासियों के दैनिक जीवन को बाधित कर रही है, बल्कि कंपनियों के लिए भी चुनौतियां पैदा कर रही है, जब उनके वरिष्ठ अधिकारी भी स्वास्थ्य कारणों से शहर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह घटना भारत के कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए एक नया उदाहरण स्थापित करती है, जहाँ पर्यावरण संबंधी चिंताएं अब पेशेवर करियर को भी प्रभावित कर रही हैं।





