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दिसम्बर, 31, 2025

वैश्विक Rice Export में भारत का डंका: चीन को पछाड़ बना ‘चावल का राजा’

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Rice Export: भारत ने वैश्विक चावल निर्यात के मानचित्र पर अपनी धाक जमाई है, सालों पुराने चीन के दबदबे को खत्म कर अब वह दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक बन गया है। यह सिर्फ एक कृषि उपलब्धि नहीं, बल्कि एक रणनीतिक जीत भी है जो देश की आर्थिक शक्ति और विदेश नीति को नई दिशा दे रही है।

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वैश्विक Rice Export में भारत का डंका: चीन को पछाड़ बना ‘चावल का राजा’

चावल की बड़े पैमाने पर खेती और इसके निर्यात के मामले में चीन लंबे समय से अग्रणी रहा है, लेकिन अब भारत ने दशकों पुराने उसके दबदबे को खत्म कर खुद को पहले नंबर पर स्थापित कर लिया है। दुनियाभर में होने वाली कुल चावल की खेती में भारत की हिस्सेदारी 28 प्रतिशत से भी अधिक है, जो उसकी बढ़ती कृषि शक्ति का प्रमाण है।

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यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (USDA) ने भी भारत की इस प्रभावशाली उपलब्धि को मान्यता दी है। अपनी दिसंबर 2025 की रिपोर्ट में, USDA ने खुलासा किया है कि भारत में चावल का उत्पादन 152 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंच गया है, जबकि चीन का उत्पादन 146 मिलियन मीट्रिक टन दर्ज किया गया है। इसी के साथ, भारत अब दुनिया में ‘चावल का राजा’ बन गया है।

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यह भी पढ़ें:  स्टॉक मार्केट की बदलती चाल: साल 2025 में भारतीय अरबपतियों की दौलत का लेखा-जोखा

भारत का बढ़ता Rice Export और अर्थव्यवस्था पर असर

भारत में प्राचीन काल से ही चावल उगाया और खाया जाता रहा है। आज जब भी चावल उत्पादन की बात आती है, तो भारत का नाम अक्सर सबसे पहले आता है। दुनिया में चावल की लगभग 123,000 किस्में हैं, जिनमें से लगभग 60,000 अकेले भारत में पाई जाती हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। हालांकि, इस शानदार यात्रा में चीन के रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी ताइवान के योगदान को नकारा नहीं जा सकता।

साठ के दशक में जब भारत गंभीर अन्न संकट से जूझ रहा था, तब ताइवान भारत की मदद के लिए आगे आया था। उसने सबसे पहले धान की अपनी प्रजाति ताइचुंग नेटिव-1 (TN1 – Taichung Native-1) भारत को प्रदान की। इसके बाद 1968 में, दूसरी महत्वपूर्ण किस्म आईआर-8 (IRI) दी गई। इन प्रजातियों के मिलने के बाद, देश के कृषि वैज्ञानिकों ने चावलों की इन किस्मों के साथ हाइब्रिडाइजेशन करना शुरू किया। धीरे-धीरे, इन प्रयासों के चलते भारत चावल उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बना और आज वैश्विक पटल पर शीर्ष स्थान पर है। रियल-टाइम बिजनेस – टेक्नोलॉजी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

जाने-माने एग्रोनॉमिस्ट डॉ. सुधांशु सिंह का कहना है कि दुनिया के सबसे बड़े चावल उत्पादक के रूप में भारत का उभरना एक बड़ी उपलब्धि है। भारतीय चावल 172 देशों में निर्यात किया जाता है और चावल भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण हथियार भी बन गया है, जो वैश्विक मंच पर देश की स्थिति को मजबूत कर रहा है।

भारत की कृषि यात्रा: आत्मनिर्भरता से वैश्विक नेतृत्व तक

2024-25 में भारत ने रिकॉर्ड 450,840 करोड़ रुपये के कृषि उत्पादों का निर्यात किया, जिसमें चावल का हिस्सा सबसे ज्यादा लगभग 24 प्रतिशत था। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। बासमती और गैर-बासमती चावल के निर्यात से भारत ने एक साल में 105,720 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा अर्जित की। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कृषि उत्पादन और विशेष रूप से चावल के महत्व को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। भारत के किसानों की कड़ी मेहनत और वैज्ञानिक प्रगति ने इस मुकाम को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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