Bond Market: भारतीय बॉन्ड बाजार से विदेशी निवेशकों की रिकॉर्ड निकासी ने एक बार फिर हलचल मचा दी है। दिसंबर 2025 में दर्ज की गई यह भारी बिकवाली न सिर्फ अर्थव्यवस्था के लिए एक चेतावनी है, बल्कि रुपए की कमजोर होती स्थिति और वैश्विक आर्थिक बदलावों का सीधा संकेत भी देती है। क्या है इस रिकॉर्ड आउटफ्लो की वजह और इसका भविष्य में क्या असर होगा, आइए गहराई से समझते हैं।
# विदेशी निवेशकों की रिकॉर्ड निकासी: भारतीय Bond Market पर मंडराया संकट!
## Bond Market से रिकॉर्ड निकासी: वजहें और आंकड़े
दिसंबर 2025 में विदेशी निवेशकों ने भारतीय सरकारी बॉन्ड से अब तक का सबसे बड़ा पैसा निकाला है। ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स के लिए पात्र भारतीय सॉवरेन बॉन्ड से करीब ₹14,300 करोड़ का आउटफ्लो दर्ज किया गया, जो कि 2020 में फुली एक्सेसिबल रूट (FAR) की शुरुआत के बाद से अब तक का सबसे बड़ा विड्रॉल है। इस भारी बिकवाली का मुख्य कारण कमजोर रुपया रहा है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। जो डॉलर के मुकाबले 91 के ऊपर अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर चला गया। इस स्थिति ने विदेशी निवेशकों के रिटर्न पर सीधा दबाव डाला।
वैश्विक फंड अब ऐसे उभरते बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं जहां अधिक पैदावार और मुद्रा की सराहना की अधिक संभावना है। इस दबाव का असर बॉन्ड की कीमतों पर भी साफ दिखा, और दिसंबर में पिछले चार महीनों की सबसे बड़ी गिरावट के संकेत मिले।
रियल-टाइम बिजनेस – टेक्नोलॉजी खबरों के लिए यहां क्लिक करें
## वैश्विक रुझान और भविष्य की संभावनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और ब्याज दरों में संभावित वृद्धि भी निवेशकों को सुरक्षित माने जाने वाले बाजारों की ओर धकेल रही है। हालाँकि, 2026 में संभावित यूएस-भारत व्यापार समझौता और वैश्विक सूचकांक में शामिल होने जैसे कारक भारतीय बॉन्ड बाजार में मजबूत वापसी ला सकते हैं। इन ट्रिगर्स से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) का विश्वास फिर से बढ़ सकता है और पूंजी प्रवाह में सुधार हो सकता है। फिलहाल, भारतीय रुपया की अस्थिरता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण से भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती एक सकारात्मक पहलू है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। निवेशक अभी भी भारतीय बाजारों में अवसर तलाश रहे हैं, लेकिन उन्हें सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।


