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दिसम्बर, 12, 2025

तेज झटके के बाद धमाकेदार वापसी: फेडरल रिजर्व के फैसले से झूमा बाजार, सेंसेक्स-निफ्टी में बंपर उछाल

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तीन दिनों से लगातार गिरते भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों के चेहरे पर छाई मायूसी गुरुवार को एक झटके में खुशी में बदल गई। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के एक अहम फैसले ने बाजार को ऐसा बूस्ट दिया कि सेंसेक्स और निफ्टी दोनों रिकॉर्ड तेजी के साथ बंद हुए। लंबे समय से दबाव झेल रहे बाजार में आखिरकार वो कौन सी बात आई, जिसने निवेशकों में नई ऊर्जा भर दी?

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बाजार में लौटी बहार, सेंसेक्स-निफ्टी ने भरी उड़ान

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गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार ने एक मजबूत वापसी दर्ज की। यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती के ऐलान और उसकी संतुलित नीति ने वैश्विक बाजारों में सकारात्मक माहौल पैदा किया, जिसका सीधा असर भारतीय सूचकांकों पर भी देखने को मिला। शुरुआती कमजोरी को पीछे छोड़ते हुए बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 426.86 अंक यानी 0.51 प्रतिशत की जोरदार बढ़त के साथ 84,818.13 पर बंद हुआ। दिनभर के कारोबार में यह 84,150.19 के निचले स्तर तक फिसला था, लेकिन अंततः 84,906.93 के ऊपरी स्तर के करीब जाकर बंद हुआ।

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नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी पीछे नहीं रहा। इसने 140.55 अंक यानी 0.55 प्रतिशत की मजबूती दिखाई और 25,898.55 के स्तर पर कारोबार समाप्त किया। दिन के उच्चतम स्तर पर निफ्टी ने 25,922.80 का आंकड़ा छुआ, जो निवेशकों के बढ़ते भरोसे का स्पष्ट संकेत था। इस तेजी में वाहन और मेटल सेक्टर की भूमिका सबसे अहम रही, जिन्होंने बाजार को दिनभर के उतार-चढ़ाव के बावजूद मजबूती प्रदान की।

इन शेयरों ने मचाया धमाल, कितनों को लगी चपत?

बाजार की इस तेजी का सबसे अधिक लाभ उन कंपनियों को मिला जिनके शेयरों में बंपर उछाल आया। सेंसेक्स की प्रमुख कंपनियों में कई दिग्गजों ने शानदार प्रदर्शन किया:

  • इटर्नल
  • टाटा स्टील
  • कोटक महिंद्रा बैंक
  • अल्ट्राटेक सीमेंट
  • मारुति सुजुकी
  • सन फार्मा
  • एचडीएफसी बैंक
  • टेक महिंद्रा
  • टाटा मोटर्स
  • इन्फोसिस
  • महिंद्रा एंड महिंद्रा
  • रिलायंस इंडस्ट्रीज
  • एचसीएल टेक
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इन कंपनियों को बेहतर मांग, मजबूत तिमाही नतीजों और संबंधित सेक्टर्स में आई तेजी का बड़ा सहारा मिला। हालांकि, इस सकारात्मक माहौल में भी कुछ कंपनियों के शेयरों को गिरावट का सामना करना पड़ा। एशियन पेंट्स, बजाज फाइनेंस, पावरग्रिड, आईसीआईसीआई बैंक, भारती एयरटेल और टाइटन के शेयरों में कमजोरी दर्ज की गई, जिससे यह साफ होता है कि बाजार में अभी भी सेक्टर-वार प्रदर्शन में अंतर बना हुआ है।

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विशेषज्ञों की राय: आखिर कहां से मिली ताकत?

बाजार विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती ने न सिर्फ भारतीय बाजार बल्कि वैश्विक निवेश धारणा को एक नई दिशा दी है। जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के रिसर्च हेड विनोद नायर ने बताया कि अमेरिका में 10 साल की बॉन्ड यील्ड में आई कमी से विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की ओर से निकट भविष्य में आक्रामक निवेश की संभावना थोड़ी कम हो सकती है। हालांकि, अल्पकालिक आधार पर यह कदम उभरते बाजारों के लिए राहत लेकर आया है, और भारतीय बाजार को इससे फायदा मिला है।

नायर के अनुसार, भारत के ऑटो सेक्टर में मांग उम्मीद से कहीं अधिक मजबूत बनी हुई है, जिसने बाजार के समग्र प्रदर्शन को एक बड़ा सहारा दिया। इसके साथ ही, आईटी सेक्टर ने भी खर्च बढ़ने की उम्मीद के चलते बढ़त हासिल की, जो निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत है।

वैश्विक बाजारों का हाल और कच्चा तेल

जहां एक ओर भारतीय बाजार ने शानदार प्रदर्शन किया, वहीं वैश्विक स्तर पर एशियाई बाजारों में मिश्रित रुझान देखने को मिला। जापान का निक्की, हांगकांग का हैंग सेंग, दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और चीन का शंघाई कंपोजिट जैसे प्रमुख सूचकांकों ने ज्यादातर गिरावट दर्ज की। विशेषज्ञों के मुताबिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कंपनियों के ओवरवैल्यूएशन और जापान में बढ़ती बॉन्ड यील्ड ने इन क्षेत्रीय बाजारों की धारणा पर नकारात्मक असर डाला। इसके विपरीत, यूरोपीय बाजारों में दोपहर के कारोबार के दौरान तेजी का माहौल था, जबकि अमेरिकी बाजारों ने बुधवार को मजबूती दर्ज की थी।

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निवेश के आंकड़ों पर गौर करें तो विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने बुधवार को 1,651 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जिससे बाजार पर थोड़ा दबाव बना रहा। लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने लगभग 3,752 करोड़ रुपये की खरीदारी कर बाजार को स्थिरता प्रदान की, जो भारतीय निवेशकों के मजबूत भरोसे को दर्शाता है। कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड की कीमत में भी गिरावट दर्ज की गई, जो 1.22 प्रतिशत गिरकर 61.45 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई। कच्चे तेल की कीमतों में यह कमी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि इससे आयात बिल कम होने और महंगाई पर नियंत्रण में मदद मिलने की उम्मीद है।

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