Steel Industry: भारतीय इस्पात उद्योग एक महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा है, जहाँ सरकार घरेलू निर्माताओं को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठा रही है। चीन और वियतनाम जैसे देशों से सस्ते आयात पर अंकुश लगाने और कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में किए गए प्रयास न केवल उद्योग के भविष्य को आकार दे रहे हैं, बल्कि वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति को भी मजबूत कर रहे हैं। उद्योग जगत के दिग्गजों और विश्लेषकों का मानना है कि इन प्रयासों को और अधिक गति देने की आवश्यकता है ताकि यह क्षेत्र निरंतर विकास पथ पर अग्रसर रह सके।
सरकार के बड़े कदम: इस्पात उद्योग को मिलेगी नई मजबूती और सुरक्षा
घरेलू इस्पात उद्योग की सुरक्षा और विकास के नए आयाम
सरकार घरेलू इस्पात उद्योग को संरक्षण देने और उसे प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियों को लागू कर रही है। मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, चीन और वियतनाम जैसे देशों से आने वाले फ्लैट इस्पात उत्पादों पर सुरक्षा शुल्क (safeguard duty) और एंटी-डंपिंग शुल्क (anti-dumping duty) लगाना इन्हीं कदमों का हिस्सा है। इन शुल्कों का उद्देश्य अनुचित व्यापार प्रथाओं से घरेलू निर्माताओं को बचाना और उन्हें एक समान अवसर प्रदान करना है। इसके साथ ही, उच्च गुणवत्ता वाले तैयार स्टील के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना भी शुरू की गई है। इस योजना के तहत रक्षा, बिजली आपूर्ति, नवीकरणीय ऊर्जा, ऑटोमोबाइल और विमानन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उपयोग होने वाले विशिष्ट इस्पात के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
कच्चे माल की उपलब्धता को मजबूत करना सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। अधिकारी ने बताया कि कोकिंग कोयले के नए भंडारों की खोज पर जोर दिया जा रहा है और आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने के लिए संसाधन-समृद्ध देशों के साथ सक्रिय रूप से बातचीत जारी है। लौह अयस्क के लिए नीलामी प्रक्रिया पहले से ही चल रही है, और इस्पात निर्माताओं को इसमें बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। ये उपाय न केवल उत्पादन लागत को स्थिर रखने में मदद करेंगे, बल्कि भारतीय इस्पात निर्माताओं को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएंगे।
जिंदल स्टील के चेयरमैन और भारतीय इस्पात संघ के अध्यक्ष नवीन जिंदल ने इस दिशा में भारत की प्रगति को सराहा, लेकिन साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि इन पहलों को और अधिक तेजी से लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आगे का मार्ग निरंतर मांग सृजन, नीतिगत स्थिरता और साहसिक निवेश की मांग करता है। उद्योग के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर, रियल-टाइम बिजनेस – टेक्नोलॉजी खबरों के लिए यहां क्लिक करें।
चुनौतियाँ और भविष्य की उम्मीदें
उद्योग निकाय एसोचैम (ASSOCHAM) ने सरकार के समर्थन को महत्वपूर्ण बताया है, लेकिन साथ ही कुछ मौजूदा चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला। इनमें कोकिंग कोयले की बढ़ती लागत, उच्च लॉजिस्टिक्स खर्च, रेलवे रेक की सीमित उपलब्धता और बुनियादी ढाँचे से संबंधित बाधाएँ शामिल हैं, जो अभी भी इस क्षेत्र पर दबाव बनाए हुए हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इन बाधाओं को दूर करना इस्पात क्षेत्र के सतत विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। एसोचैम को नए साल में इस्पात की मांग में वृद्धि की उम्मीद है और उनका मानना है कि गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों में आगे कोई ढील दिए जाने की संभावना नहीं है। यह संकेत देता है कि सरकार गुणवत्ता मानकों पर कोई समझौता नहीं करेगी, जिससे भारतीय इस्पात उत्पादों की वैश्विक विश्वसनीयता बढ़ेगी। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि उद्योग इन चुनौतियों का सामना करते हुए भी विकास की गति बनाए रखे। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।



