Stock Market: भारतीय शेयर बाजार में साल 2025 विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली के लिए याद किया जाएगा। हाल के वर्षों में यह सबसे बड़ी निकासी में से एक है, जिसने बाजार पर खासा दबाव डाला है। महज एक सत्र में लाखों करोड़ रुपये का नुकसान और आईटी, एफएमसीजी जैसे प्रमुख क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर फंड की निकासी ने निवेशकों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। क्या यह केवल एक अस्थायी झटका है या बड़े बदलाव का संकेत? आइए इस बिकवाली के गहरे कारणों और इसके भविष्य पर संभावित प्रभावों का विश्लेषण करें।
# Stock Market: विदेशी निवेशकों की ताबड़तोड़ बिकवाली से भारतीय शेयर बाजार में भूचाल, जानें पूरा माजरा
साल 2025 में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय इक्विटी से अपनी हिस्सेदारी उल्लेखनीय रूप से कम कर दी है। इस दौरान, छह प्रमुख क्षेत्रों से लगभग 2 लाख करोड़ रुपये की भारी निकासी की गई, जो हाल के वर्षों में देखी गई सबसे बड़ी बिकवाली में से एक है। इस बिकवाली के कारण भारतीय Stock Market में गिरावट दर्ज की गई, जिसने निवेशकों के भरोसे को झटका दिया।
शुक्रवार, 26 दिसंबर को सेंसेक्स में 352.28 अंकों की गिरावट आई और यह 85056.43 के स्तर पर बंद हुआ। इसी तरह, निफ्टी भी 26042.30 के स्तर पर समाप्त हुआ। इस एकतरफा बिकवाली का नतीजा यह रहा कि महज एक कारोबारी सत्र में बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 475 लाख करोड़ रुपये से घटकर 474 लाख करोड़ रुपये रह गया, जिससे सीधे तौर पर 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह स्थिति दिखाती है कि विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयर बाजार के प्रति रुझान बदल रहा है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
## भारतीय Stock Market से आखिर क्यों निकल रहा है पैसा?
विदेशी निवेशकों की बिकवाली का मुख्य कारण विभिन्न वैश्विक बाजारों में बेहतर अवसर और भारतीय बाजार में आईपीओ की बढ़ती लोकप्रियता है। आंकड़ों के अनुसार, विदेशी निवेशकों ने साल 2025 में अब तक भारतीय इक्विटी से कुल 1.6 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं। यह विदेशी निवेशकों की भावनाओं में आए बड़े बदलाव को दर्शाता है।
## किन क्षेत्रों पर पड़ी सबसे ज्यादा मार?
आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने सबसे ज्यादा 79,155 करोड़ रुपये आईटी सेक्टर से निकाले। इसके बाद, एफएमसीजी से 32,361 करोड़ रुपये, पावर सेक्टर से 25,887 करोड़ रुपये, हेल्थकेयर से 24,324 करोड़ रुपये, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स से 21,567 करोड़ रुपये और कंज्यूमर सर्विसेज से 19,914 करोड़ रुपये के शेयर बेचे गए।
वहीं, कुछ अन्य सेक्टर्स में भी महत्वपूर्ण बिकवाली देखने को मिली:
* रियल्टी: 12,364 करोड़ रुपये की निकासी।
* फाइनेंशियल सर्विसेज: 10,894 करोड़ रुपये की निकासी।
* ऑटो: 9,242 करोड़ रुपये की निकासी।
यह बिकवाली भारत के विभिन्न प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों पर विदेशी पूंजी के बदलते दृष्टिकोण को उजागर करती है।
दूसरी ओर, कुछ क्षेत्रों में इस साल निवेश बढ़ा भी है:
* टेलीकॉम: सबसे ज्यादा 47,109 करोड़ रुपये का निवेश।
* ऑयल एंड गैस: 9,076 करोड़ रुपये का निवेश।
* सर्विसेज: 8,112 करोड़ रुपये का निवेश।
विदेशी संस्थागत निवेशक साल 2025 में भारतीय इक्विटी के नेट सेलर रहे हैं, जिन्होंने कुल 17.8 बिलियन डॉलर के शेयर बेचे हैं। इसके विपरीत, उन्होंने चीन, जापान, यूरोप और अमेरिका जैसे दूसरे ग्लोबल इक्विटी बाजारों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। इस साल जहां भारतीय शेयर बाजार ने औसतन रिटर्न दिया, वहीं ग्लोबल मार्केट्स ने 12-61 प्रतिशत तक का मुनाफा कराया और इमर्जिंग मार्केट्स ने लगभग 23 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
आईपीओ की दीवानगी भी विदेशी निवेशकों की बिकवाली का एक बड़ा कारण रही। विदेशी निवेशकों ने इस दौरान सेकेंडरी मार्केट से पैसा निकालकर प्राइमरी मार्केट में लगाया। आंकड़ों के अनुसार, इस साल एफआईआई ने आईपीओ में 7.1 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, जो सेकेंडरी बाजारों में बेची गई कुल रकम का लगभग 40 प्रतिशत है।
इस बीच, घरेलू म्यूचुअल फंड्स में एसआईपी (SIP) के जरिए मजबूत इनफ्लो जारी रहा, जो 3.2 लाख करोड़ रुपये के बराबर रहा। हालांकि, जिन पैसों से शेयर बाजार को सहारा मिलने की उम्मीद थी, उसे आईपीओ ने सोख लिया। घरेलू म्यूचुअल फंड्स में एसआईपी के जरिए पैसा भले ही आया, लेकिन यह कुछ कंपनियों तक सीमित रहने से बाजार को कुछ खास फायदा नहीं पहुंचा।
## 2026 में क्या होगी वापसी?
विशेषज्ञों का मानना है कि स्थिति धीरे-धीरे संभलेगी। बैंक ऑफ अमेरिका के इंडिया रिसर्च हेड अमीश शाह विदेशी निवेशकों की भारतीय शेयर बाजार में वापसी को लेकर सकारात्मक नजर आए। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि आउटफ्लो कम से कम होगा, लेकिन इससे इनफ्लो बढ़ेगा या नहीं, यह बहस का मुद्दा है।” हालांकि, उन्होंने 18 बिलियन डॉलर के आउटफ्लो के शून्य की ओर जाने की संभावना के लिए तीन बड़े कारण बताए:
* एसएंडपी 500 से सिर्फ 4 प्रतिशत के मुकाबले निफ्टी से लगभग 12 प्रतिशत रिटर्न की उम्मीद।
* यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में 75 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की उम्मीद, जिसने ऐतिहासिक रूप से उभरते बाजारों में इनफ्लो को बढ़ावा दिया है।
* अमेरिकी डॉलर में संभावित गिरावट।
ये कारक अगले साल भारतीय बाजारों में विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षण को फिर से बढ़ा सकते हैं। रियल-टाइम बिजनेस – टेक्नोलॉजी खबरों के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/business/ आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।



