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दिसम्बर, 12, 2025

New Labour Code: करोड़ों कामगारों के भविष्य को आकार देते नए नियम

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New Labour Code: देश के करोड़ों कामगारों के लिए एक बड़ा बदलाव दस्तक दे रहा है। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए चार नए लेबर कोड का सीधा असर उनके वेतन, भविष्य निधि अंशदान, ईएसआई लाभ और ग्रेच्युटी जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर पड़ने वाला है। यह सिर्फ नियमों का एक नया सेट नहीं, बल्कि भारतीय कार्यबल के लिए एक नए युग की शुरुआत है, जहां पारंपरिक ढांचे को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप ढाला जा रहा है। इसका उद्देश्य कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों के लिए स्पष्टता और बेहतर कार्य-दशाएं सुनिश्चित करना है।

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New Labour Code: करोड़ों कामगारों के भविष्य को आकार देते नए नियम

New Labour Code: क्या-क्या बदल रहा है आपके लिए?

नए लेबर कोड में ‘वेतन’ की परिभाषा को विस्तृत किया गया है। अब इसमें कर्मचारी को मिलने वाले लगभग सभी प्रकार के सैलरी वाले हिस्से शामिल होंगे, सिवाय कुछ विशिष्ट मदों के। इनमें हाउस रेंट अलाउंस (HRA), कन्वेयंस अलाउंस, ट्रैवल कंसेशन, कानून के तहत मिलने वाला बोनस, कमीशन और नौकरी से जुड़े विशेष खर्चों की भरपाई के लिए दी जाने वाली राशि शामिल नहीं है। एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि अलाउंस कुल सैलरी के 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। यदि अलाउंस इस सीमा से अधिक होता है, तो अतिरिक्त हिस्से को वापस मूल वेतन में समायोजित करने का प्रावधान है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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गिग वर्कर्स, जो आजकल अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा बन चुके हैं, उनके लिए भी नए लेबर कोड में महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। इन कोड्स के तहत गिग वर्करों के लिए व्यापक सामाजिक सुरक्षा का ढांचा तैयार किया गया है। इसके तहत कंपनियों को अपने वार्षिक टर्नओवर का 1 से 2 फीसदी हिस्सा एक विशेष सामाजिक सुरक्षा कॉर्पस में जमा करना होगा। इस फंड का उपयोग गिग वर्कर्स के लिए आवश्यक सुविधाओं और कल्याणकारी योजनाओं को सुनिश्चित करने में किया जाएगा, जिससे उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार आ सके।

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प्रोविडेंट फंड (पीएफ) के दायरे को भी नए लेबर कोड के तहत बढ़ाया गया है। अब उन सभी इंडस्ट्री या कार्यस्थलों को पीएफ की सुविधा प्रदान करनी होगी, जहां 20 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। पहले यह नियम केवल अधिसूचित क्षेत्रों पर लागू होता था। इस विस्तार से लाखों कामगारों को लाभ मिलेगा, जो पहले पीएफ सुविधा से वंचित थे। यह कदम उनकी दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।

ग्रेच्युटी लाभ को लेकर भी नए कोड्स में एक बड़ा बदलाव किया गया है। अब कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का लाभ पाने के लिए 5 साल तक इंतजार नहीं करना होगा। नए प्रावधानों के अनुसार, एक साल की सर्विस पूरी करने वाले फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को भी ग्रेच्युटी दिए जाने का प्रावधान है। यह बदलाव सीधे तौर पर कर्मचारियों को लाभान्वित करेगा और उनकी वित्तीय स्थिरता को बढ़ाएगा। इसके साथ ही, उन्हें अन्य संबंधित लाभ भी मिलेंगे। रियल-टाइम बिजनेस – टेक्नोलॉजी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

कामगारों के जीवन पर व्यापक प्रभाव

नए लेबर कोड में न्यूनतम मजदूरी, फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी, गिग वर्कर्स के लिए लाभकारी नियम और महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट जैसे कई अन्य विशेष प्रावधान भी शामिल किए गए हैं। यह कोड कामगारों के अधिकारों की सुरक्षा और उन्हें एक मजबूत सामाजिक सुरक्षा कवच प्रदान करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इन नियमों का क्रियान्वयन न केवल कार्यबल को सशक्त करेगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक योगदान देगा। कंपनियों को भी इन बदलावों के अनुरूप अपनी नीतियों में आवश्यक संशोधन करने होंगे। इन नियमों का पालन करना न केवल कानूनी बाध्यता होगी, बल्कि यह कर्मचारियों की उत्पादकता और संतुष्टि को भी बढ़ाएगा, जिससे अंततः व्यावसायिक सफलता में वृद्धि होगी।

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