नई दिल्ली: स्मार्ट टीवी का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं आप?
स्मार्ट टीवी आज के समय में मनोरंजन का एक अहम हिस्सा बन गए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस तरह से आप इन्हें देखते हैं, वह आपकी आँखों के लिए कितना हानिकारक हो सकता है? जी हाँ, टीवी को बहुत ज़्यादा पास या बहुत दूर से देखना आपकी आँखों में जलन, सिरदर्द और धुंधली दृष्टि जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। यहाँ तक कि लंबे समय में आँखों की रोशनी कमज़ोर होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए, चाहे आपका टीवी 32 इंच का हो, 43 इंच का या 55 इंच का, सही दूरी बनाए रखना बेहद ज़रूरी है।
32 इंच टीवी के लिए कितनी हो दूरी?
अगर आपके घर में 32 इंच का टीवी है, तो इसे बहुत करीब से देखने की गलती न करें। इस साइज़ के टीवी के लिए कम से कम 4.5 से 5 फीट की दूरी आदर्श मानी जाती है। छोटी स्क्रीन को नज़दीक से देखने पर आँखों पर फोकस करने का दबाव बढ़ता है, जिससे वे जल्दी थक जाती हैं। खासकर बच्चे अक्सर टीवी के बहुत पास बैठ जाते हैं, जो उनकी आँखों के स्वास्थ्य के लिए बेहद चिंताजनक है।
43 इंच टीवी: सबसे आम गलती
43 इंच का टीवी आज सबसे ज़्यादा लोकप्रिय साइज़ है, लेकिन इसी साइज़ के साथ लोग सबसे ज़्यादा गलतियाँ करते हैं। इस टीवी को देखने की सही दूरी लगभग 6.5 से 7.5 फीट होनी चाहिए। यदि आप सोफे पर बैठकर टीवी देखते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपकी बैठने की जगह और टीवी स्क्रीन के बीच की दूरी इस रेंज में हो। इससे न केवल आपकी आँखों पर पड़ने वाला तनाव कम होगा, बल्कि आपको तस्वीर की क्वालिटी का बेहतर अनुभव भी मिलेगा।
55 इंच टीवी के लिए सही दूरी क्या है?
बड़ी स्क्रीन वाले टीवी हमेशा एक ज़्यादा प्रभावशाली अनुभव देते हैं, लेकिन इसके लिए देखने की दूरी भी बढ़ानी पड़ती है। 55 इंच के टीवी के लिए, आदर्श दूरी 8 से 9.5 फीट के बीच होनी चाहिए। यदि आप इससे कम दूरी से, खासकर 4K कंटेंट देखते हैं, तो आपकी आँखों पर दबाव बढ़ेगा। टीवी की तेज ब्राइटनेस और कंट्रास्ट आपकी आँखों को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
सही दूरी क्यों है इतनी ज़रूरी?
टीवी स्क्रीन से निकलने वाली रोशनी सीधे हमारी आँखों पर असर डालती है। जब हम टीवी के बहुत करीब बैठते हैं, तो हमारी आँखों को लगातार फोकस एडजस्ट करना पड़ता है, जिससे आँखों में सूखापन, धुंधली दृष्टि और सिरदर्द जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। एक सही दूरी बनाए रखने से न केवल आपकी आँखें सुरक्षित रहती हैं, बल्कि टीवी देखने का पूरा अनुभव भी काफी बेहतर हो जाता है।








