दरभंगा। समाज कल्याण विभाग के सचिव दया निधान पांडेय ने किशोर न्याय अधिनियम 2015 तथा बिहार किशोर न्याय नियमावली 2017 के तहत दरभंगा जिले में संचालित बाल गृह व पर्यवेक्षण गृह का (Darbhanga Children’s Home and Supervision Home) निरीक्षण किया।
उन्होंने सर्वप्रथम बाल गृह का निरीक्षण करते हुए आवासीय बच्चों तथा वहां उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी ली। उन्होंने गृह की साफ-सफाई, बेडरूम, रसोईया घर आदि का भी निरीक्षण किया।
वहीं, आवासित बच्चों के लिए बन रहे भोजन को लेकर रसोईया से भी पूछताछ की। उन्होंने बाल गृह में प्रतिनियुक्त शिक्षक व गृह के अन्य कर्मी के संबंध में सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई, दरभंगा नेहा नूपुर से आवश्यक जानकारी प्राप्त की एवं विशेष निर्देश दिए।
सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई, दरभंगा की ओर से बताया गया कि बाल गृह में आवासित 20 बालकों में 11 बालक विशेष इकाई में है। उन्होंने कुछ मानसिक दिव्यांग बच्चों की उग्रता की स्थिति में आवश्यक मार्गदर्शन प्राप्त किये। उन्होंने बताया कि बाल गृह में लगे पेंटिंग बाल गृह के बच्चों की ओर से बनाया गया है।
वहीं, सभी क्रियाविधि यथा- खेलकूद पठन-पाठन, योजना आदि के साथ-साथ बच्चों के स्वास्थ्य व सुरक्षा को लेकर विशेष सतर्कता बरती जाती है। सचिव की ओर से गृह के बच्चों के रूटीन चेकअप एवं दवा संबंधी रजिस्टर्ड का भी अवलोकन किया एवं आवश्यक निर्देश दिये गये। उन्होंने गृह में चल रहे आर्ट ऑफ लिविंग प्रशिक्षण कार्यक्रम को लेकर आवश्यक जानकारी प्राप्त की। सामान्य तौर पर गृहों के निरीक्षण के दौरान सचिव संतुष्ट दिखे।
वहीं, विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान दरभंगा का निरीक्षण सहायक निदेशक राकेश रंजन की अगुवाई में समाज कल्याण विभाग पटना की टीम द्वारा किया गया। निरीक्षण के दौरान उन्हें बताया गया कि विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में एक बालिका को बहरीन देश से आये एक दंतत्ति को प्री-एडॉप्शन में दिया गया। बताया गया कि अब विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में एक बालिका आवासित है।
पर्यवेक्षण गृह के निरीक्षण के दौरान सहायक निदेशक नेहा नूपुर द्वारा बताया गया कि गृह के आवासन क्षमता 50 किशोरों का है, जबकि पर्यवेक्षण गृह में 90 किशोर अवस्थित हैं। जिसमें किशोर न्याय परिषद, मधुबनी, दरभंगा एवं समस्तीपुर से क्रमश: 47, 12 और 31 किशोर हैं। सहायक निदेशक ने बताया कि मधुबनी किशोर न्याय परिषद से मामले का निष्पादन लंबित रहने से वहाँ के लगभग 40 से 50 किशोर गृह में प्राय: आवासित रहते हैं।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में केवल एक हाउस फादर एवं एक हाउस मदर ही कार्यरत हैं। इसके साथ ही लिपिक का भी पद रिक्त होने की जानकारी दी गई। सचिव की ओर से पर्यवेक्षण गृह में आवासित किशोरों से पूछ ताछ की गयी तथा साफ-सफाई, मेनू, कपड़े आदि के संबंध में भी जानकारी प्राप्त की गयी। इस अवसर पर बाल संरक्षण पदाधिकारी पंकज कुमार सिन्हा, बाल गृह अधीक्षक दीपक कुमार सिंह, पीओ राघव ठाकुर, ओएच प्रभारी अधीक्षक बसंत ठाकुर व गृह के निलेश कुमार व अन्य कर्मी उपस्थित थे।