सामाजिक सरोकारों से जुड़ी रोटरी मिथिला के सदस्य बिहार में दारू बंद होने के बाद, नेपाल में जमकर दारू पार्टी करते नजर आ रहे हैं। ऐसा फोटो फेसबुक पर खूब वायरल हो रहा है जहां रोटरी मिथिला के सदस्य जमकर, छककर दारूबाजी करते जश्न मनाते नजर आ रहे हैं। यह पोस्ट शेयर होते ही कई गणमान्य संस्था को जानने वाले व उससे जुड़े लोग जो बिना जाने कि पोस्ट में क्या है लाइक कर चुके को भी जब जानकारी मिली तो ऐसे गणमान्य लोगों ने लाइक को तत्काल हटाया। यहां तक कि पोस्ट के साथ टैग लोगों ने भी इससे दरकिनार करना शुरू कर दिया है जिसमें कई रोटरी मिथिला से भी जुड़े बताए जा रहे हैं।
दरभंगा, देशज टाइम्स। लोगों ने इस तरह के सामाजिक संस्थाओं को इस रूप में देखकर इसे मानवता को शर्मसार करने वाली और दोहरे चरित्र का मापदंड तय करने की बात कह रहे हैं। कुछ लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त्त पर देशज टाइम्स को बताया, ऐसी तस्वीर व ऐसा जश्न मनाने वालों को सामाजिक कार्यों से तत्काल तौबा कर देना चाहिए। ऐसी हरकत समाज में गलत विचारधारा को जन्म देते हैं। सोशल साइट्स पर पीने का प्रदर्शन करना नीतीश सरकार को भी यह दिखाने के लिए काफी है कि दारू बंदी बिहार में करेंगे तो सामाजिक सरोकार के नाम पर चल रहे संस्थान के लोग भी नेपाल में जाकर आराम से मदिरा का सेवन करेंगे। पिकनिक मनाएंगें और फिर बिहार लौटकर सामाजिक कंबल में खुद को ऐसा लपेटेंगे कि उनका चेहरा गरीब, प्रताड़ित, उपेक्षित लोगों की आवाज बनकर सुनाई पड़ेगी मगर उस आवाज के पीछे छुपे शब्द कितने गंदे व वैचारिक दिवालियापन का परिचायक है यह समझ से परे।
रोटरी मिथिला जैसे संस्थान की ओर से किया गया यह कार्य अन्य संस्थाओं पर भी सवालिया निशान खड़ा करता है। नीतीश सरकार को चाहिए कि ऐसे संस्थानों के अंदर छुपे बैठे ऐसे निम्न, घटिया मानसिकता के लोगों पर कार्रवाई करे। ऐसे संस्थानों की जांच करे जो चंद सामाजिक कार्यों के नाम पर शोहरत बंटोरकर अय्याशी का कारोबार चला रहे हैं।
रोटरी मिथिला के सदस्य आपसी सहयोग के नाम पर रोटरी धरान का इंटरनेशनल टूर पर जाते हैं। जहां जमकर अय्याशी होती है। बाद में इसको सोशल साइट्स पर प्रदर्शित भी उन्हीं लोगों की ओर से किया जाता है। मगर, सरकार है कि चुप है। व्यवस्था है कि खामोश है, सवाल यही , ऐसे लोगों को बेपर्द कौन करेगा सरकार या प्रशासन। इसकी जांच सही से होगी भी या नहीं यह सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न है। ऐसे कई, सामाजिक संस्थाएं समाज के अंदर कार्यरत हैं जो ऊपर से कुछ और अंदर खाने गरीबों का पैसा हजम कर रहे हैं शौक-मौज में पैसे को उड़ा रहे हैं।
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