ज़रा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाये,
दिये से मेरी माँ मेरे लिए काजल बनाती है।
छू नहीें सकती मौत भी आसानी से इसको
यह बच्चा अभी माँ की दुआ ओढ़े हुए है।
यूं तो अब उसको सुझाई नहीं देता लेकिन
मां अभी तक मेरे चेहरे को पढ़ा करती है
वह कबूतर क्या उड़ा छप्पर अकेला हो गया
मां के आँखें मूँदते ही घर अकेला हो गया।
चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है।
सिसकियां उसकी न देखी गईं मुझसे ‘राना’
रो पड़ा मैं भी उसे पहली कमाई देते
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना।
लबों पे उसके कभी बददुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती।
अब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की ‘राना’
माँ की ममता मुझे बाँहों में छुपा लेती है
गले मिलने को आपस में दुआएँ रोज़ आती हैं
अभी मस्जिद के दरवाज़े पे माँएँ रोज़ आती हैं।
ऐ अँधेरे देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ।
लिपट को रोती नहीं है कभी शहीदों से
ये हौंसला भी हमारे वतन की माँओं में है।
ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है
यारों को मसर्रत मेरी दौलत पे है लेकिन
इक माँ है जो बस मेरी ख़ुशी देख के ख़ुश है।
तेरे दामन में सितारे होंगे तो होंगे ऐ फलक़
मुझको अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी।
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है
घेर लेने को जब भी बलाएँ आ गईं
ढाल बनकर माँ की दुआएँ आ गईं।
‘मुनव्वर’ माँ के आगे यूँ कभी खुलकर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती
मुझे तो सच्ची यही एक बात लगती है
कि माँ के साए में रहिए तो रात लगती है।
अब तेरा यूं जाना, बहुत सालता है….मशहूर शायर मुनव्वर राना
नई दिल्ली। मशहूर शायर मुनव्वर राना (Munawwar Rana, Indian poet) का रविवार देर रात निधन हो गया। वो 71 वर्ष के थे। लखनऊ के पीजीआई में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे खराब स्वास्थ की वजह से काफी दिनों से यहां भर्ती थे।
बताया जा रहा है कि Munawwar Rana पीजीआई में लंबे समय से डायलिसिस पर थे। उनके फेफड़ों में काफी इंफेक्शन था। इसकी वजह से शनिवार को वेंटिलेटर पर भी रखा गया था। मुनव्वर (Munawwar Rana passes away) को लंबे समय से किडनी की भी परेशानी थी।
1952 में रायबरेली में जन्मे Munawwar Rana
26 नवंबर 1952 को रायबरेली में जन्मे Munawwar Rana (Munawwar Rana passes away due to heart attack) ‘मां’ पर लिखी शायरियों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर थे।
देश के जाने-माने शायरों में Munawwar Rana
Munawwar Rana देश के जाने-माने शायरों में गिने जाते हैं, उन्हें साहित्य अकादमी और माटी रतन सम्मान के अलावा कविता का कबीर सम्मान, अमीर खुसरो अवार्ड, गालिब अवार्ड आदि से नवाजा गया है।
इसके अलावा उनकी दर्जनभर से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हैं। इनमें मां, गजल गांव, पीपल छांव, बदन सराय, नीम के फूल, सब उसके लिए, घर अकेला हो गया आदि शामिल हैं।