वाराणसी में आज जी-20 के आर्थिक और सामाजिक विकास मंत्रियों की तीन दिवसीय बैठक के आगाज को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करने वाले हैं।
बैठक में आर्थिक मंदी, विकासशील देशों पर बढ़ते कर्ज के बोझ, जलवायु परिवर्तन, दुनिया में बढ़ती गरीबी जैसे और भी मुद्दों पर चर्चा होगी। वहीं, इस बीच पूर्व 250 से अधिक जजों ने अपने मन की बात प्रधानमंत्री मोदी से की है। इसके लिए इन जजों ने पीएम को खत लिखा है। पढ़िए पूरी खबर
वाराणसी में शुरू होने वाली विकास मंत्रियों की बैठक से पहले दिल्ली में चौथी और अंतिम विकास कार्य समूह की बैठक हो चुकी है।
दिल्ली बैठक में यह वैश्विक नेता 6 से 9 जून तक अहम चर्चा कर चुके हैं। वाराणसी बैठक में दो मुख्य सत्र होंगे। पहला-बहुपक्षवाद: सतत विकास लक्ष्य की दिशा में प्रगति में तेजी लाने के लिए सामूहिक कार्रवाई और दूसरा-पर्यावरण के लिए जीवन शैली।
केंद्रीय विदेशमंत्री डॉ. एस. जयशंकर बैठक की अध्यक्षता करेंगे। यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब विकास से संबंधित चुनौतियां चरम पर हैं।
वाराणसी बैठक इसी साल जनवरी में भारत के तत्वावधान में आयोजित वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन का अनुसरण करती है। वाराणसी बैठक में लिए गए निर्णयों पर न्यूयॉर्क में सितंबर में होने वाले संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य शिखर सम्मेलन में चर्चा होगी।
इधर, देश के पूर्व रॉ चीफ, एनआईए के फॉर्मर डायरेक्टर, आईबी के रिटायर्ड अधिकारियों और कई राज्यों के रिटायर्ड डीजीपी सहित देश के 270 पूर्व न्यायधीशों, रिटायर्ड आईएएस-आईपीएस और सैन्य अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ओडिशा के
बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के पीछे बड़ी आतंकी साजिश की आशंका जताते हुए सरकार से देशभर में फैले रेल पटरियों की सुरक्षा के लिए अवैध घुसपैठियों और रेल पटरियों के किनारे बसे अवैध अतिक्रमणकारियों को वहां से हटाए जाने की मांग की है।
देश के 14 पूर्व न्यायधीशों, 115 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट (जिसमें 11 पूर्व राजनयिक भी शामिल हैं) और 141 पूर्व सैन्य सैन्य अधिकारियों सहित कुल 270 प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने नॉर्थ ईस्ट के राज्यों और 1990 के दशक और 2000 के दशक की शुरूआत में जम्मू कश्मीर और
पठानकोट में हमले की वजह से बालासोर की तरह हुए कई ट्रेन हादसे का जिक्र करते हुए कहा है कि हालांकि बालासोर हादसे की जांच अभी चल रही है।
लेकिन प्रारंभिक मीडिया रिपोट के अनुसार, इस बात पर संदेह करने के कई कारण हैं कि यह आतंकवादी संगठनों के इशारे पर तोड़फोड़ का एक स्पष्ट मामला हो सकता है।
सीबीआई जांच के फैसले को सही ठहराते हुए यह उम्मीद जताई गई है कि सीबीआई सही अपराधियों को बेनकाब करेगी।
पूरे देश के रेलवे नेटवर्क को खतरे में बताते हुए पत्र में लिखा गया है कि, भारत का पूरा रेलवे नेटवर्क असुरक्षित है और विशेष रूप से ‘चिकन नेक’ कहे जाने वाले पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में यह खतरा ज्यादा है।
प्रधानमंत्री से कड़े कदम उठाने की मांग करते हुए कहा गया है कि, यह अत्यावश्यक है कि अवैध आप्रवासियों सहित रेल पटरियों के किनारे बसे अवैध अतिक्रमणकारियों को हटाया जाए और हमारी रेल पटरियों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।