Election Analysis | First Phase Elections में कौन First Division से पास…कौन आर…कौन पार…! जहां, पहले दौर के मतदान के बाद “अब की बार, 400 पार” के मोदी और बीजेपी के बड़बोले दावे की हवा निकलती लग रही है। 2019 के लोकसभा चुनावों में हुए मतदान के मुकाबले 2024 के पहले दौर के मतदान में काफी कमी आई है। लगभग 7 फ़ीसदी।
Election Analysis | उदासीनता, ख़ास तौर पर शहरी मतदाता के लिए
मतदान प्रतिशत में इस गिरावट में मतदाता की उदासीनता को साफ देखा जा सकता है। बढ़ती गर्मी एक कारण हो सकती है, ख़ास तौर पर शहरी मतदाता के लिए। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव भी तो इसी मौसम में हुए थे। तब तो लोग वोट देने के लिए उमड़ पड़े थे।
Election Analysis | इस बार पुलवामा और बालाकोट जैसा कोई प्रबल
फिर इस बार मतदान में इतनी कमी की क्या वजह हो सकती है? एक बड़ा कारण यह हो सकता है कि इस बार पुलवामा और बालाकोट जैसा कोई प्रबल भावनात्मक राष्ट्रवादी मुद्दा नहीं है वोटर को घर से निकालने के लिए। एक बात यह भी है कि नरेंद्र मोदी को लेकर लोगों में पहले जो जुनून था, दसवां साल आते-आते काफी कम हो गया है।
Election Analysis | मोदी ही बीजेपी के लिए वोट हासिल करने का सबसे बड़ा चेहरा
हालांकि, अब भी मोदी ही बीजेपी के लिए वोट हासिल करने का सबसे बड़ा चेहरा हैं। तमाम लोकसभा क्षेत्रों में बहुत सारे वोटर कैमरों पर कहते सुने जा सकते है कि वो मोदी के नाम पर वोट देंगे। खुद मोदी और उनकी पार्टी के तमाम नेता भी अपने प्रत्याशियों के लिए वोट मांगते समय यही कहते हैं कि आपका वोट मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाएगा।
Election Analysis | महंगाई, बेरोज़गारी समेत कई मुद्दों पर मोदी की अगुआई वाली सरकार से
महंगाई, बेरोज़गारी समेत कई मुद्दों पर मोदी की अगुआई वाली सरकार से लोगों की नाराजगियां तो हैं लेकिन उसे उखाड़ फेंकने वाली कोई प्रबल देशव्यापी लहर नहीं है। यह भी कह सकते हैं कि विपक्ष समय रहते ऐसी कोई देशव्यापी लहर पैदा करने में कामयाब नहीं हो पाया। लेकिन दूसरी तरफ , कोई भारी भरकम मोदी लहर भी नहीं है। मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा उदासीन है। चुनाव का रुख मिलाजुला सा दिख रहा है।अब विपक्ष मुकाबले में है और कई जगह कड़ी चुनौती दे रहा है।
Election Analysis | जिसकी शुरुआत पहले दौर से मानी जा सकती है
पहले दौर में पिछली बार भी विपक्ष का स्कोर बीजेपी/एनडीए से बेहतर था। इस बार भी वही होने के आसार हैं। अगर पहले दौर के मतदान में ख़ास तौर पर राजस्थान से विपक्ष के समर्थन में मिल रहे संकेतों पर भरोसा करें तो नतीजे पिछली बार से बेहतर भी हो सकते हैं। पिछली बार राजस्थान में बीजेपी ने सभी 25 सीटें जीती थीं। इस बार कांग्रेस के बारे में काफी सकारात्मक माहौल दिख रहा है, जिसकी शुरुआत पहले दौर से मानी जा सकती है।