भारत का विधि आयोग देश में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश करते हुए एक रिपोर्ट पेश करने के लिए तैयार है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, आयोग 2024 और 2029 के बीच एक साथ चुनाव कराने के लिए एक अस्थायी समयसीमा तय कर सकता है।
22वें विधि आयोग की रिपोर्ट कानून मंत्रालय को सौंपी जाएगी। आपको बता दें कि सरकार द्वारा राष्ट्रीय हित का हवाला देते हुए लोकसभा, विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है।
लोकसभा, विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। 22वां विधि आयोग की रिपोर्ट कानून मंत्रालय को सौंपी जाएगी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विधि आयोग ने 2024 से 2029 के बीच पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए एक समयावधि तय की है। इस संर्दभ में 22वां विधि आयोग की रिपोर्ट कानून मंत्रालय को सौंपी जाएगी।
केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय हित के लिए पूरे देश में एक साथ लोकसभा, विधानसभा, नगर पालिका एवं पंचायत के चुनाव कराने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है।
समिति की पहली बैठक 23 सितंबर को हुई। बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, पंद्रहवें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हुए।
समिति ने इस मुद्दे पर सुझाव देने के लिए विधि आयोग और राजनीतिक दलों को आमंत्रित करने का निर्णय लिया।22वें लॉ कमीशन की आज बड़ी बैठक होने जा रही है। इस बैठक में 3 कानूनों पर चर्चा होगी। बैठक का पहला एवं मुख्य मुद्दा वन नेशन-वन इलेक्शन है।
जिस पर विधि आयोग अपनी फाइनल रिपोर्ट तैयार करेगी।
वहीं दूसरा मुद्दा पॉस्को कानून अधिनियम के तहत यौन संबंधों में सहमति की न्यूनतम उम्र 18 से घटाकर 16 की जाए या नहीं, इससे संबंधित है। जिस पर आज चर्चा होने वाली है। वहीं तीसरा मुद्दा ऑनलाइन FIR दाखिल करने के प्रावधान से संबंधित है। इस पर भी आज की बैठक में चर्चा होगी।
23 सितंबर को कोविंद की अध्यक्षता वाले पैनल की पहली बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, पंद्रहवें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के
पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हुए। एक सरकारी बयान के अनुसार, पैनल ने इस मुद्दे पर सुझाव देने के लिए विधि आयोग और राजनीतिक दलों को आमंत्रित करने का निर्णय लिया।
2018 में न्यायमूर्ति बीएस चौहान (रिटायर) की अध्यक्षता वाले 21वें विधि आयोग ने भी एक मसौदा रिपोर्ट में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की सिफारिश की थी।
हालांकि, इसमें शामिल मुद्दों की जटिलता को देखते हुए आयोग ने कहा था कि सरकार को अंतिम सिफारिशें करने से पहले एक बार फिर सभी हितधारकों को शामिल करते हुए इस मामले पर चर्चा करनी चाहिए। अंतिम अनुशंसा किये जाने से पहले ही उस आयोग का कार्यकाल समाप्त हो गया।
22वें विधि आयोग का गठन फरवरी 2020 में तीन साल की अवधि के लिए किया गया था। हालांकि, इसके अध्यक्ष की नियुक्ति नवंबर 2022 को हुई थी।
कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी को इसका अध्यक्ष बनाया गया था। इस साल फरवरी में जब आयोग का कार्यकाल समाप्त होने वाला था थब सरकार ने इसका कार्यकाल 31 अगस्त 2024 तक के लिए बढ़ा दिया।