बलिया,देशज न्यूज। कोरोना वायरस के कारण लागू देशव्यापी लॉकडाउन में भविष्य के ‘फूल’ यानी बच्चों के अरमान भी कुम्हला रहे हैं। सबसे बड़ी मुसीबत है कि जाएं तो कहां जाएं। आखिरकार मंदिर पर बच्चे फूलों की टोकरी लेकर इस आस में बैठ रहे हैं कि कोई आए और उनके फूल खरीद ले।
कोरोना के कहर से हर तरफ मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो रहा है। चारों तरफ काम बंद हैं। यहां तक धार्मिक स्थलों पर भी ताले लटके हैं। जहां चंद दिनों पहले ही फूल-पत्ती बेचकर जीविका चलाते थे, वहां की वीरानगी साल रही है। शहर के प्रसिद्ध हनुमान गढ़ी मंदिर की डेहरी पर बैठकर परिवार की दुश्वारियों को कम करने वाले बच्चे रोजाना की तरह मंदिर बंद होने पर भी फूल लेकर बैठ रहे हैं। शायद इस चाह में कि कोई तो भूला-भटका आएगा और उनके फूल लेगा।
शनिवार को हनुमान जी के दर्शन के लिए हनुमान गढ़ी मंदिर पर लोगों की खासी भीड़ जुटा करती थी। लेकिन इस शनिवार मंदिर के बाहर सन्नाटा पसरा था। मंदिर के अंदर पुजारी भगवान हनुमान जी के पूजा-पाठ में तल्लीन थे। बाहर बैठे दो बच्चे फूलों की टोकरी लेकर बैठे थे। मंदिर के सामने से गुजरने वाले पुलिस के लोगों को निहारते बच्चों की आंखों में घर के खर्चे चलाने की चिंता साफ झलक रही थी।
हालांकि मंदिर के आसपास के मोहल्लों से इक्का-दुक्का लोग आते और जैसे ही फूल मांगते, बच्चों के चेहरों पर हल्की सी मुस्कान तैर जाती। पूछने पर बच्चों ने बताया, रोजाना हमलोग परिवार के दोनों वक्त के भोजन का इंतजाम कर लौटते थे। अब तो मुश्किल से ही सौ रुपये भी मिल पाते हैं। इसी मंदिर के करीब बाबा बालेश्वरनाथ मंदिर की भी यही हालत है। यहां भी फूल-पत्ती की दुकान लगाने वाले नहीं दिखे।
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