पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता खत्म हो गई है। उन्हें लोकसभा की सदस्या से निलंबित कर दिया गया है।(Mahua Moitra- expelled-Lok Sabha) पैसे लेकर सवाल पूछना महंगा पड़ गया। तृणमूल कांग्रेस की सदस्य महुआ मोइत्रा की लोकसभा की सदस्यता शुक्रवार को (MC leader Mahua Moitra Expelled From Parliament Lok Sabha) खत्म कर दी गई।
महुआ मोइत्रा पर अदाणी समूह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाने के लिए कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर सदन में सवाल पूछने के बदले रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था। उनपर आरोप था कि उन्होंने संसद में 61 सवाल पूछे जिनमें से 50 सवाल अदाणी समूह से जुड़े थे।
लोकसभा ने महुआ मामले में एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद इसे पास कर दिया। रिपोर्ट में महुआ की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की गई थी। सदस्यता खत्म करने के फैसले के बाद समूचे विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया। इसी के साथ लोकसभा की कार्यवाही सोमवार, 11 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई।
मोइत्रा पर आरोप था कि उन्होंने संसदीय वेबसाइट पर एक गोपनीय खाते में लॉग-इन करने के लिए हीरानंदानी को अपनी आईडी और पासवर्ड दे दिया था, ताकि वह सीधे प्रश्न पोस्ट कर सकें। हालांकि, उन्होंने पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोप से इनकार किया था लेकिन लॉग-इन विवरण को साझा करने की बात स्वीकार की थी।
इससे पहले एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच सदन में पेश की गई। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए सख्त फैसले लेने होंगे। उन्होंने रिपोर्ट पर चर्चा के लिए आधा घंटे का समय तय किया, जिसे कांग्रेस और अन्य विपक्षी सदस्यों ने नाकाफी बताया था।
तृणमूल कांग्रेस के सदस्य कल्याण बनर्जी ने मांग की कि स्वयं महुआ मोइत्रा को इस संबंध में अपना पक्ष रखने दिया जाए। हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ने इसकी अनुमति नहीं दी।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की ओर से महुआ मोइत्रा पर लगाए गए इन आरोपों के बाद मामले पर जांच के लिए एक समिति गठित की गई थी। भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली लोकसभा आचार समिति ने इस महीने की शुरुआत में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि 2005 में इसी तरह के मामले में 10 सांसदों को निलंबित किया गया था और उस दौरान लोकसभा अध्यक्ष रहे सोमनाथ चटर्जी ने सदस्यों को अपनी बात रखने की अनुमति नहीं दी थी। जोशी की ओर से पेश प्रस्ताव पर विचार करने के दौरान विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया और महुआ के निष्कासन के प्रस्ताव को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
लोकसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आचार समिति की रिपोर्ट बहुत लंबी है। ऐसे में सदस्यों को इसको पढ़ने का और समय दिया जाना चाहिए। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि इस मुद्दे पर आज कोई फैसला न लिया जाए।
कांग्रेस के मनीष तिवारी ने भी चर्चा के दौरान कहा कि महुआ पर आरोप लगे हैं, लेकिन उनको अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। यह न्याय संगत नहीं है। कोई भी आचार समिति दंड देने की सिफारिश नहीं कर सकती है उसे सिर्फ रिपोर्ट पेश करने का अधिकार है।
विगत दिनों भाजपा सदस्य निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर प्रश्न पूछने का आरोप लगाया था। उन्होंने इन आरोपों पर जांच समिति से जांच कराए जाने की मांग की थी। दूबे के आरोप पर लोकसभा अध्यक्ष ने मामले को संसद की आचार समिति को भेज दिया था।
दुबे का आरोप था कि महुआ मोइत्रा ने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से प्रश्न पूछे जाने के एवज में रिश्वत और उपहार लिए हैं। इन आरोपों को हीरानंदानी ने भी स्वीकार किया है।